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Bihar Assembly Session 2025: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है, जो पांच दिन तक चलेगा। यह सत्र न केवल विधायी महत्व रखता है, बल्कि 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले सरकार और विपक्ष के बीच एक राजनीतिक रणभूमि भी बन गया है। नीतीश कुमार सरकार इस सत्र में दर्जनों विधेयक पेश करने जा रही है, जिनमें से कई युवाओं को रोजगार देने और सामाजिक न्याय को मजबूत करने के दावों से जुड़े हैं।
युवाओं के लिए बड़ा ऐलान: कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय विधेयक 2025
इस सत्र में सबसे चर्चित विधेयक जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय विधेयक 2025 है, जिसका उद्देश्य बिहार के युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा देना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल एक करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था, और यह विधेयक उसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके तहत राज्य में कौशल विकास के नए संस्थान खोले जाएंगे, जो युवाओं को प्रत्यक्ष रूप से नौकरी के अवसर उपलब्ध कराएंगे।
जमीन विवादों का समाधान: विशेष भूमि सर्वेक्षण विधेयक
बिहार में जमीन के झगड़ों को सुलझाने के लिए सरकार विशेष भूमि सर्वेक्षण विधेयक ला रही है। इसके तहत प्रमंडल स्तर पर अपीलीय व्यवस्था बनाई जाएगी, जिससे जमीन से जुड़े मामलों में तेजी से न्याय मिल सके। यह कदम किसानों और भूमि विवाद में फंसे लोगों के लिए एक बड़ी राहत देने वाला साबित हो सकता है।
गीग वर्कर्स और छोटे दुकानदारों के लिए नई नीति
सरकार इस सत्र में गीग इकोनॉमी वर्कर्स (स्विगी, जोमैटो, ओला आदि में काम करने वाले) और छोटे दुकानों में कार्यरत श्रमिकों के लिए नए नियम लाने जा रही है। इसमें उनकी सेवा शर्तों, वेतन और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े प्रावधान शामिल होंगे। क्या यह सच में श्रमिकों के हक में एक बड़ा फैसला होगा, या फिर चुनावी वादों तक सीमित रहेगा?
विपक्ष की चुनौती: सरकार पर 'करनी-कथनी' का आरोप
वहीं, विपक्षी दलों ने इस सत्र को सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का मौका बताया है। RJD, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि नीतीश सरकार केवल चुनावी लाभ के लिए विधेयक पेश कर रही है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिख रहा। विपक्ष ने कहा है कि वह इस सत्र में सरकार की नाकामियों को उजागर करेगा।
संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने को तैयार है और यह सत्र जनता के हित में ठोस निर्णय लेकर आएगा। अब देखना यह है कि यह सत्र "विधेयकों का विजन" साबित होगा या फिर "वोट बैंक की राजनीति" का हिस्सा बनकर रह जाएगा।