नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । बिहार के किशनगंज से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बांग्लादेशी नागरिकों के लिए फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश हुआ है। 7 जून 2025 शनिवार को बिहार पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर उसके पास से संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए हैं। यह गिरोह सीमापार घुसपैठ को वैध रूप देने की कोशिश कर रहा था, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता था।
बता दें कि बिहार की सीमावर्ती ज़िला किशनगंज से एक खतरनाक साजिश का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो बांग्लादेशी नागरिकों के लिए फर्जी आधार कार्ड तैयार कर रहा था। इस मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी हुई है और उसके पास से संदिग्ध दस्तावेज, मोबाइल फोन, पेन ड्राइव और फर्जी आईडी कार्ड बरामद किए गए हैं।
यह गिरोह बांग्लादेश से भारत में अवैध रूप से घुस आए लोगों को भारतीय नागरिक बनाने की साजिश में शामिल था। आरोपी आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज तैयार कर उन्हें भारत में वैध नागरिक के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा था।
पुलिस ने कैसे किया इसका भंडाफोड़?
पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध लोग किशनगंज के सीमावर्ती इलाकों में फर्जी दस्तावेज तैयार करने के काम में लगे हैं। जांच के दौरान एक संदिग्ध को पकड़ा गया। पूछताछ में उसने चौंकाने वाले खुलासे किए और बताया कि वह बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में बसाने के लिए दस्तावेज तैयार करता है।
आरोपी के पास से बरामद हुए कई दस्तावेज
पुलिस ने आरोपी के पास से जो बरामदगी की, वह इस साजिश की गंभीरता को साबित करती है:
- फर्जी आधार कार्ड के डिजाइन
- बांग्लादेशी पासपोर्ट की स्कैन कॉपी
- मोबाइल में आधार सॉफ्टवेयर
- कई नामों में दर्ज नकली पहचान पत्र
- USB ड्राइव में डाटा बैकअप
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। किशनगंज, जो बांग्लादेश और नेपाल सीमा के पास स्थित है, लंबे समय से घुसपैठ और फर्जीवाड़े के मामलों में संवेदनशील रहा है।
ऐसे फर्जी आधार कार्डों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों, ड्रग्स तस्करी, हवाला और नकली वोटिंग जैसे कई गैरकानूनी कार्यों में किया जा सकता है।
यह सवाल उठता है...
- अगर एक आरोपी पकड़ा गया है, तो बाकी कितने अब भी सक्रिय हैं?
- क्या इसमें कोई स्थानीय नेटवर्क भी शामिल है?
- क्या सरकारी सिस्टम में कोई अंदरूनी मिलीभगत है?
इन सवालों के जवाब अब राष्ट्रीय जांच एजेंसियों को तलाशने होंगे।
स्थानीय पुलिस ने बताया कि “गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ जारी है और शुरुआती जांच से साफ है कि यह मामला अंतर्राष्ट्रीय गिरोह से जुड़ा हो सकता है। इस पर उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।”
यह घटना संकेत देती है कि अगर एक जगह यह काम हो रहा है, तो देश के अन्य सीमावर्ती इलाकों में भी ऐसे फर्जीवाड़े का नेटवर्क सक्रिय हो सकता है। केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को चाहिए कि वे आधार सत्यापन प्रक्रिया को और मजबूत करे।
क्या आपको लगता है कि आधार कार्ड जैसी संवेदनशील पहचान प्रणाली के साथ इतनी बड़ी लापरवाही देश की सुरक्षा के लिए खतरा है? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर दें।
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