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बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। मड़वन प्रखंड के कोदरिया और बसंत खरौना गांव के 70 से ज्यादा ग्रामीणों को अचानक बैंक से लोन चुकाने का नोटिस मिला, जबकि उनका दावा है कि उन्होंने कभी कोई लोन लिया ही नहीं। ग्रामीण बैंक की गोबरसही शाखा ने तीन-तीन लाख रुपये के बकाये का नोटिस भेजा है और चेतावनी दी है कि रकम नहीं चुकाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बिना शादी तीन लाख का लोन कथित पत्नी के नाम
इस फर्जीवाड़े का सबसे चौंकाने वाला पहलू भगवानलाल सहनी का मामला है। उन्हें तीन लाख रुपये लौटाने का नोटिस मिला है, जो उनकी कथित पत्नी इनर देवी के नाम पर जारी हुआ है। भगवानलाल का कहना है कि उनकी अब तक शादी ही नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक अधिकारी उनकी “पत्नी” को सामने लाने का दावा कर रहे हैं, जबकि यह एक गहरी साजिश का हिस्सा लगता है। सहनी का आरोप है कि यह पूरा खेल बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है और इसकी उच्च स्तरीय जांच जरूरी है।
गांव के कई और परिवारों को भी इसी तरह का नोटिस मिला है। गणेश राय ने बताया कि उनके घर तीन बहुओं के नाम पर 2018 में लोन दिखाया गया है, जबकि परिवार में किसी ने आवेदन तक नहीं किया। इसी तरह चुन्नु कुमार की पत्नी कविता देवी के नाम पर दो अलग-अलग लोन चढ़ा दिए गए। गांव के लोग जब बैंक पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि यह ग्रुप लोन था, और किसी एक सदस्य ने पैसा उठाया तो जिम्मेदारी सबकी है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे अनजान थे कि उनके नाम पर कोई लोन लिया गया है। अब जब बैंक की ओर से 20 अगस्त तक चुकाने का नोटिस आया है, तो गांव में अफरातफरी मच गई है। मंगलवार को पीड़ित लोग संगठित होकर करजा थाना पहुंचे और पुलिस से शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
बैंक की ओर से सहायक शाखा प्रबंधक अमित कुमार ने सफाई दी कि यह ग्रुप लोन का मामला है। उनके मुताबिक समूह के किसी एक ने रकम उठाई होगी, इसलिए सभी को डिफॉल्ट नोटिस जारी किया गया। बैंक का कहना है कि जिन लोगों ने खुद लोन नहीं लिया, उन्हें असली कर्जदार से वसूली कर बैंक को रकम लौटानी होगी।
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