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पटना, वाईबीएन डेस्क । मानसून सत्र के अंतिम दिन बिहार विधानसभा में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने राज्य सरकार की वित्तीय प्रबंधन और सरकारी कामकाज की पारदर्शिता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां बिहार की GDP ग्रोथ 14.47% तक दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। वहीं दूसरी ओर रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन पर सवाल उठाया गया है।
नहीं दिए 70 हजार करोड़ के उपयोगिता प्रमाणपत्र
वित्तीय वर्ष 2023-24 में सरकार ने 70877.61 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र (Utilisation Certificate) नहीं जमा किया। 31 मार्च 2024 तक राज्य के महालेखाकार (AG) को 49,649 उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजे गए। 70,000 करोड़ से अधिक की राशि का हिसाब नहीं देना, किसी भी सरकार के लिए गंभीर सवाल खड़ा करता है। बिहार कैग रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि जिन पैसों का हिसाब नहीं दिया गया, उसमें से 14,452 करोड़ रुपये तो 2016-17 से भी पुराने हैं। यानी वर्षों से यह मामला अधर में लटका हुआ है।
ये हैं सबसे फिसड्डी विभाग
कैग रिपोर्ट बिहार में उन विभागों को भी चिह्नित किया गया है, जिन्होंने सबसे अधिक लापरवाही दिखाई है। पंचायती राज विभाग 28,154 करोड़, शिक्षा विभाग 12,623 करोड़, शहरी विकास विभाग 11,065 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग 7,800 करोड़ और कृषि विभाग 2,107 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक नहीं दे पाया है। यही नहीं, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 9,205 करोड़ रुपए की एडवांस निकासी का डीसी बिल तक नहीं दिया गया।