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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मछुआरा समुदाय को सीधी राहत देते हुए नई योजना की घोषणा की है। नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना के तहत अब मछुआरों को नाव और जाल खरीदने पर 90 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलेगी। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है और सभी दल अपने-अपने मतदाता वर्ग को साधने में जुटे हैं।
योजना के मुताबिक फिशिंग लकड़ी की नाव के लिए 1,24,400 रुपए, एफआरपी बोट पैकेज के लिए 1,54,400 रुपए और कॉस्ट (फेका) जाल पैकेज के लिए 16,700 रुपए की इकाई लागत तय की गई है। इस लागत का 90 प्रतिशत हिस्सा सरकार वहन करेगी। इसका सीधा फायदा पारंपरिक मछुआरों, मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्यों, महिला मछुआरों और अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़े लाभार्थियों को मिलेगा।
राज्य सरकार की वेबसाइट fisheries.bihar.gov.in पर 31 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। आवेदन के लिए मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण, आधार कार्ड और मत्स्य व्यवसाय से संबंधित प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होगा। योजना का लाभ हर परिवार या व्यक्ति केवल एक पैकेज के लिए ही ले सकता है। चयन की जिम्मेदारी उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता वाली समिति को सौंपी गई है।
राजनीतिक नजरिए से यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है। बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मत्स्य उद्योग एक बड़ा स्तंभ है और लाखों लोग इससे सीधे जुड़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह योजना न केवल मत्स्य व्यवसाय को नई दिशा देगी बल्कि मछुआरों की आमदनी भी बढ़ाएगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।