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बिहार की सियासत इन दिनों पूरे उफान पर है। विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही राज्य में राजनीतिक गतिविधियां अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं। चुनाव आयोग कभी भी अधिसूचना जारी कर सकता है, ऐसे में सभी दलों ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। जहां एक ओर एनडीए गठबंधन सीट बंटवारे को लेकर खींचतान में उलझा हुआ है, वहीं महागठबंधन में सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री चेहरे पर सहमति बन चुकी है।
चर्चा है कि महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को होने वाली बैठक में सीटों के बंटवारे की घोषणा कर दी जाएगी। कांग्रेस और राजद के बीच कुछ सीटों पर मामूली मतभेद जरूर हैं, लेकिन कुल मिलाकर समझौता हो चुका है।
रविवार देर रात नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के एक पोलो रोड स्थित आवास पर हुई समन्वय समिति की बैठक करीब तीन घंटे चली। इस बैठक में राजद, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), वाम दलों (भाकपा, माले, माकपा) और रालोजपा (पशुपति पारस गुट) के शीर्ष नेता मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, सीट बंटवारे के फार्मूले के तहत कांग्रेस को 55 से 58 सीटें, वीआईपी को 18 से 20 सीटें, वाम दलों को 35 से 38 सीटें, रालोजपा को 3 सीटें और झामुमो को 2 से 3 सीटें देने पर सहमति बनी है। शेष लगभग 130 सीटें राजद के हिस्से में आएंगी।
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि सीट बंटवारे पर अंतिम रूप दिया जा चुका है, अब सिर्फ औपचारिक घोषणा बाकी है। राजद के वरिष्ठ नेता आलोक मेहता ने भी बताया कि दो दिनों के भीतर औपचारिक ऐलान कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि महागठबंधन जल्द ही साझा घोषणा पत्र जारी करेगा, ताकि विपक्ष की रणनीति पहले से स्पष्ट हो सके।
दूसरी ओर, एनडीए में अब भी सीटों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और भाजपा नेता ऋतुराज सिन्हा ने रविवार को जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की, लेकिन मतभेद दूर नहीं हो पाए। माना जा रहा है कि मांझी और कुशवाहा दोनों अपने दलों के लिए सीटों की संख्या को लेकर असंतुष्ट हैं। भाजपा नेतृत्व उन्हें मनाने में जुटा है ताकि एनडीए का गठबंधन चुनाव से पहले टूटने की स्थिति में न पहुंचे।
तेजस्वी यादव ने बैठक से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि अब बिहार की सरकार “रिटायर्ड अफसरों के भरोसे” चल रही है और जनता वास्तविक शासन से वंचित है। उन्होंने दावा किया कि जनता अब बदलाव चाहती है और महागठबंधन एक मजबूत विकल्प बनकर सामने आ रहा है।
चुनाव आयोग से अधिसूचना जारी होने के बाद महागठबंधन अपने साझा घोषणा पत्र और अभियान की शुरुआत करेगा। राजद की कोशिश है कि ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर चुनावी माहौल अपने पक्ष में बनाया जाए।
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