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बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अगले माह होना है। लेकिन इससे पहले भाजपा ने अपनी तैयारी को डबल स्पीड में ला दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने भी राज्य में अपनी चुनावी जमीन मजबूत करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इसी सिलसिले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बार फिर बिहार आ रहे हैं। 27 सितंबर को शाह अररिया, सारण और वैशाली में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मिलेंगे।
गृह मंत्री का यह दौरा महज दस दिनों के भीतर दूसरी बार हो रहा है, जो यह संकेत देता है कि बीजेपी बिहार में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इससे पहले 18 सितंबर को अमित शाह ने डेहरी ऑनसोन और बेगूसराय में बैठक की थी और करीब 20 जिलों के नेताओं को चुनावी तैयारी का रोडमैप दिया था। पार्टी ने पूरे राज्य को पांच जोन में बांटकर चुनावी रणनीति तैयार की है। पहले दो जोन की बैठकें पूरी हो चुकी हैं और अब शेष तीन जोन की बारी है।
दिल्ली से लेकर पटना और जिलों तक अमित शाह की बैठकों का यह सिलसिला बीजेपी की गंभीर रणनीति का हिस्सा है। तीन सितंबर को दिल्ली में हुई अहम बैठक में ही यह तय किया गया था कि राज्यस्तरीय बैठकों को तेज किया जाएगा ताकि कार्यकर्ताओं और जिला नेतृत्व तक चुनावी संदेश सीधे पहुंचाया जा सके।
अमित शाह की बार-बार बिहार यात्राएं इस बात की गवाही देती हैं कि बीजेपी इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न मान रही है। विपक्षी महागठबंधन पहले से ही सीट शेयरिंग और उम्मीदवारों पर मंथन कर रहा है। ऐसे में शाह की सक्रियता न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाली है बल्कि संगठन के भीतर तालमेल को भी मजबूत करेगी।
अब सबकी नजरें 27 सितंबर की बैठकों पर टिकी हैं, जहां अमित शाह तीन अलग-अलग जिलों में पार्टी रणनीति पर चर्चा करेंगे और यह तय करेंगे कि किस तरह से विपक्ष को घेरा जाए और वोटरों तक पार्टी का संदेश प्रभावी ढंग से पहुंचाया जाए।