Advertisment

बिहार में भ्रष्टाचार की बाढ़: शिक्षा विभाग से लेकर पुलिस तक, हर कोई शामिल

बिहार में 4200 सरकारी कर्मचारी और 696 प्राइवेट लोग भ्रष्टाचार के घेरे में। शिक्षा विभाग सबसे भ्रष्ट, निगरानी विभाग की जांच रफ्तार कछुए से भी धीमी। जानें पूरी रिपोर्ट।

author-image
YBN Bihar Desk
Bihar Vigilance Report 2025 Chart  Education Department Corruption in Bihar  Nitish Kumar Government on Corruption  EOU and SVU Offices Bihar  List of Corrupt Officers in Bihar Government
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

बिहार में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन जो आंकड़े हाल ही में सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। निगरानी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 4200 से अधिक सरकारी कर्मचारी और 696 निजी व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं।

Advertisment

अब हालत यह है कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau), विशेष निगरानी इकाई (Special Vigilance Unit) और आर्थिक अपराध इकाई (Economic Offence Unit) के दफ्तर फाइलों के बोझ से दबे पड़े हैं, लेकिन कार्रवाई की रफ्तार बेहद सुस्त है।

अब बिहार सरकार ने एक और अजीब फैसला लिया है—30 जून 2025 तक के मामलों में प्रमोशन के लिए "क्लीन चिट" जरूरी नहीं होगी। मतलब अगर कोई अधिकारी भ्रष्टाचार में फंसा है, लेकिन अभी जांच लंबित है, तो वह 'ईमानदार' मान लिया जाएगा। यह फरमान खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है।

शिक्षा विभाग: करप्शन में सबसे आगे

Advertisment

962 केस सिर्फ शिक्षा विभाग के खिलाफ, जिनमें 400 से ज्यादा शिक्षक शामिल हैं। पटना से लेकर मुजफ्फरपुर तक, शिक्षकों पर बेहिसाब संपत्ति, रिश्वतखोरी और फर्जी प्रमाणपत्रों के गंभीर आरोप हैं। ये वही शिक्षक हैं जो बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं।

पंचायती राज और पुलिस भी पीछे नहीं

  • पंचायती राज विभाग में 333 मामले, अधिकतर में मुखिया और पंचायत प्रतिनिधि लिप्त।

  • सामान्य प्रशासन विभाग में 247 केस, जिनमें जिलाधिकारी (DM) से लेकर BDO तक शामिल हैं।

  • बिहार पुलिस में 245 केस, जिनमें इंस्पेक्टर और दारोगा सबसे ज्यादा फंसे हैं।

Advertisment

जांच एजेंसियों की सुस्ती

  • EOU: 85 मामलों में से 2019 के बाद सिर्फ 1 चार्जशीट।

  • SVU: 55 मामलों में से आधे कोर्ट में अटके, बाकी लंबित।

  • VIB: 39 मामलों में से 37 में चार्जशीट, लेकिन कुछ में ‘फाइनल रिपोर्ट’ देकर छुट्टी।

जांच का यह ढुलमुल रवैया यही दर्शाता है कि जांच एजेंसियां सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं।

Advertisment

विभागीय कार्रवाई: खानापूरी से ज्यादा कुछ नहीं

अब तक सिर्फ 39 मामलों में विभागीय कार्रवाई शुरू हुई, लेकिन इनकी जांच भी "जारी" ही है। यह स्पष्ट करता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस नीति नहीं, सिर्फ 'कागजों पर कार्रवाई' हो रही है।

latest bihar news | Bihar News Today | Bihar News Hindi | Bihar news

Bihar news Bihar News Hindi Bihar News Today latest bihar news
Advertisment
Advertisment