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बिहार की राजनीति में इन दिनों कुछ ऐसा उथल-पुथल चल रहा है, जो केवल विरोधी दलों तक सीमित नहीं रह गया है। अब सत्ता गठबंधन के अंदर से भी स्वर विरोध के उठने लगे हैं। केंद्र सरकार में मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक सवाल उछालकर नीतीश कुमार सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने लिखा कि “बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे? समझ से परे है कि बिहार पुलिस की जिम्मेदारी क्या है?”
यह सिर्फ एक ट्वीट नहीं था, बल्कि बिहार की बदहाल कानून व्यवस्था पर एक तीखा राजनीतिक हमला था, जो सीधे तौर पर एनडीए की आंतरिक एकता पर सवाल खड़ा करता है। चिराग पासवान के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे अब केवल सत्ताधारी गठबंधन के एक 'साइलेंट पार्टनर' नहीं रहना चाहते, बल्कि जनता के सुरक्षा के मुद्दे पर मुखर भूमिका निभाने को तैयार हैं।
चिराग पासवान के इस रुख का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कुछ ही दिन पहले पटना के मशहूर कारोबारी गोपाल खेमका की उनके घर के बाहर सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पटना सहित पूरे बिहार में भय का माहौल पैदा कर दिया है।
चिराग पासवान के जीजा और पार्टी सांसद अरुण भारती पहले ही नीतीश सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा चुके हैं। वहीं, लोजपा (रामविलास) के एक और सांसद राजेश वर्मा भी हाल के दिनों में बिहार की कानून व्यवस्था पर नाराजगी जता चुके हैं। ये सभी घटनाएं यह संकेत दे रही हैं कि बिहार एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।