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बिहार की राजनीति में एक बार फिर से जुबानी जंग अपने चरम पर है, लेकिन इस बार लहजे में सिर्फ विरोध नहीं बल्कि व्यथा भी है। राज्य में लगातार हो रही हत्याओं, बढ़ती अराजकता और प्रशासनिक शून्यता के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
तेजस्वी यादव ने राजधानी पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि नीतीश कुमार अब "सीएम" नहीं बल्कि एक “अचेत मूकदर्शक” बन गए हैं, जिनसे बिहार अब नहीं संभल रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की उम्र और सक्रियता अब बिहार जैसे राज्य को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं रही। लेकिन सबसे गंभीर आरोप यह था कि राज्य की सत्ता अब "भूंजा पार्टी" के नेताओं और डीके टैक्सवाले से रिटायर एक अफसर के हाथ में है। यह एक व्यंग्यात्मक और तीखा हमला था, जिससे यह जताने की कोशिश की गई कि नीतीश सिर्फ नाम के सीएम हैं और असली सत्ता पर्दे के पीछे के चेहरों के पास है।
यही नहीं, तेजस्वी ने प्रधानमंत्री मोदी पर भी तीखा तंज कसते हुए कहा कि उन्हें चश्मा उतारकर और टेलीप्रॉम्प्टर से बाहर आकर बिहार की सच्चाई देखनी चाहिए। उन्होंने पूछा कि जब बिहार में हर दिन कोई हत्या हो रही है — चाहे वो शिक्षक हों, वकील हों, डॉक्टर, व्यवसायी या ठेकेदार — तो प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार रिमोट से बिहार को चला रही है और उसके कारण बिहार की जमीनी हकीकत अब पूरी तरह बदहाल हो चुकी है।
तेजस्वी का यह हमला केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि वह बिहार की कानून-व्यवस्था को लेकर एक ठोस राजनीतिक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि अब स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि खुद एनडीए के घटक दल भी इन घटनाओं पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन उन्हें भी कोई जवाब नहीं मिल रहा है।