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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले प्रदेश की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। मुजफ्फरपुर के पूर्व सांसद अजय निषाद ने अपनी राजनीतिक यात्रा का नया अध्याय शुरू करते हुए भारतीय जनता पार्टी में दोबारा शामिल होकर सबको चौंका दिया। शुक्रवार देर शाम उन्होंने अपनी पत्नी रमा निषाद के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। यह सदस्यता उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने पटना में दिलाई।
अजय निषाद का भाजपा में लौटना सिर्फ एक वापसी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक राजनीतिक संकेत माना जा रहा है। उन्होंने 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर मुजफ्फरपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर मजबूत पकड़ दिखाई थी। लेकिन 2024 में जब भाजपा ने उनका टिकट काट दिया, तब वे कांग्रेस का दामन थामकर विपक्ष के साथ चले गए। कांग्रेस ने उन्हें उसी सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं गया। भाजपा प्रत्याशी राजभूषण चौधरी निषाद ने उन्हें 2.34 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया।
राजभूषण निषाद की जीत सिर्फ भाजपा के लिए नहीं, बल्कि निषाद समाज में एक नए चेहरे के उदय के रूप में देखी गई। वे न केवल संसद पहुंचे बल्कि केंद्र में राज्य मंत्री बनाए गए। इस बीच अजय निषाद कांग्रेस में धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि वे भाजपा से फिर नजदीकियां बढ़ा रहे हैं, और आखिरकार यह अटकल अब हकीकत में बदल गई।
अजय निषाद एक पुराने राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता जय नारायण प्रसाद निषाद बिहार की राजनीति के चर्चित नामों में से एक रहे हैं। वे मुजफ्फरपुर से तीन बार सांसद चुने गए और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने।
विधानसभा चुनाव के माहौल में अजय निषाद की घर वापसी का असर सिर्फ मुजफ्फरपुर तक सीमित नहीं रहेगा। भाजपा अब उन्हें या उनकी पत्नी रमा निषाद को आगामी चुनाव में टिकट देने पर विचार कर सकती है। पार्टी के अंदर चर्चा है कि कुढ़नी विधानसभा सीट से इनमें से किसी एक को मैदान में उतारा जा सकता है।
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