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Bihar Election 2025: आनंद मोहन के दोनों बेटे मैदान में उतरने को तैयार, नबीनगर से अंशुमान तो शिवहर से चेतन लड़ सकते हैं चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बाहुबली नेता आनंद मोहन का परिवार फिर सुर्खियों में है। खबर है कि उनके छोटे बेटे अंशुमान आनंद नबीनगर से बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि बड़े बेटे चेतन आनंद शिवहर से मैदान में उतरेंगे।

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YBN Bihar Desk
Anand Mohan Son Bihar Election 2025

बिहार की राजनीति में बाहुबली नेता आनंद मोहन और उनके परिवार की सक्रियता एक बार फिर सुर्खियों में है। विधानसभा चुनाव 2025 से पहले संकेत मिल रहे हैं कि आनंद मोहन अपने दोनों बेटों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उनके छोटे बेटे अंशुमान आनंद को भाजपा नबीनगर सीट से टिकट दे सकती है, जबकि बड़े बेटे चेतन आनंद शिवहर से जेडीयू के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर सकते हैं।

यह कदम बिहार के सवर्ण वोट बैंक की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है। खास बात यह है कि अंशुमान आनंद की मां और जेडीयू सांसद लवली आनंद ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत नबीनगर सीट से ही की थी। 1994 में वे वैशाली लोकसभा उपचुनाव जीतकर सांसद बनी थीं और 1996 में नबीनगर से विधायक चुनी गईं। अब लगभग तीन दशक बाद उनके बेटे उसी क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

आनंद मोहन, जिन्हें कभी सवर्ण राजनीति के प्रतीक नेता के रूप में देखा जाता था, उनके परिवार का राजनीतिक पुनरुत्थान अब भाजपा और जेडीयू दोनों के लिए रणनीतिक मायने रखता है। लवली आनंद फिलहाल शिवहर से जेडीयू सांसद हैं, जबकि चेतन आनंद शिवहर विधानसभा सीट से विधायक हैं। चेतन 2020 में आरजेडी टिकट पर जीते थे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद उन्होंने खुलकर जेडीयू का साथ दिया था।

2024 में नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ सरकार बनाने के दौरान चेतन आनंद ने फ्लोर टेस्ट में राजद के खिलाफ वोट दिया था, जिसके बाद से उनका झुकाव जेडीयू के साथ स्थायी हो गया। ऐसे में 2025 का चुनाव उनके लिए नई राजनीतिक पहचान बनाने का मौका होगा।

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वहीं, अंशुमान आनंद की संभावित एंट्री भाजपा के लिए भी अहम मानी जा रही है। नबीनगर सीट पर अगड़ा मतदाताओं की मजबूत उपस्थिति और लवली आनंद के पुराने राजनीतिक आधार को देखते हुए पार्टी इस सीट पर उन्हें उतारने पर विचार कर रही है।

आनंद मोहन, जिन्होंने 1990 में सहरसा जिले की महिषी सीट से पहली बार विधायक के रूप में राजनीति में कदम रखा था, 1996 और 1998 में शिवहर से सांसद बने। हालांकि 1994 में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में सजा मिलने के बाद उनका राजनीतिक करियर पटरी से उतर गया था।

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