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पटना में केंद्रीय मंत्री और हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ने बड़ा राजनीतिक बयान दिया। उन्होंने संकेत दिया कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में दलित मुख्यमंत्री की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। मांझी का यह बयान चुनावी हलचल के बीच नई चर्चा को जन्म दे रहा है, क्योंकि उन्होंने साफ कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से समावेशी राजनीति पर जोर देते आए हैं।
मांझी ने कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार देश में विभिन्न समुदायों को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देती रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र ने पहले दलित और फिर आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति चुना। इसी तर्ज पर बिहार में भी दलित समाज को मुख्यमंत्री पद मिल सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला एनडीए का सामूहिक होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की खास सोच रही है कि हर तबके को बराबरी का मौका मिले। आपने देखा कि एक दलित राष्ट्रपति बनाए गए, फिर एक आदिवासी राष्ट्रपति बनाए गए। ऐसे में मुझे भरोसा है कि पीएम मोदी इस बार भी ऐतिहासिक कदम उठा सकते हैं।
मांझी ने इस मौके पर केंद्र सरकार के हालिया जीएसटी सुधारों का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि 12 और 28 प्रतिशत जीएसटी स्लैब खत्म करने का फैसला ऐतिहासिक है, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। उनके अनुसार यह कदम रोटी, कपड़ा और मकान जैसे बुनियादी जरूरतों को सस्ता करेगा और घरों के बजट को संतुलित बनाएगा।
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