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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन ने ऐसा चुनावी खाका तैयार कर लिया है जिसे उसका ‘फुलप्रूफ प्लान’ कहा जा रहा है। जहां एक ओर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव विपक्षी राजनीति को धार देने के लिए वोटर अधिकार यात्रा पर हैं, वहीं एनडीए ग्राउंड लेवल पर संगठनात्मक बैठकों और बूथ प्रबंधन के जरिए अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुट गया है। इस कवायद का मकसद स्पष्ट है कि एनडीए को एकजुट रखना, जनता तक सीधी पहुंच बनाना और नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाना।
इसी माह 84 विधानसभा क्षेत्रों में बैठक!
अगस्त के अंतिम सप्ताह में 84 विधानसभा क्षेत्रों में बड़े स्तर पर बैठकें होंगी, जबकि शेष क्षेत्रों में कार्यक्रम सितंबर तक जारी रहेंगे। इन बैठकों की कमान जेडीयू और भाजपा के साथ-साथ सहयोगी दलों के दिग्गज नेताओं के हाथों में होगी। हर बैठक में कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद होगा, उनसे फीडबैक लिया जाएगा और चुनावी रणनीति साझा की जाएगी।
बिहार चुनाव में 225 सीटें जीतने का एनडीए का लक्ष्य
एनडीए ने इस बार कार्यकर्ताओं तक यह संदेश साफ तौर पर पहुंचाया है कि जनता के बीच जाकर केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को प्रचारित करना ही सबसे बड़ा एजेंडा है। इसमें मुफ्त बिजली योजना, महिलाओं के लिए उद्यमिता प्रोत्साहन, युवाओं के लिए रोजगार कार्यक्रम, आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं और कानून-व्यवस्था की उपलब्धियां शामिल हैं। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने साफ कहा है कि गठबंधन का लक्ष्य 225 सीटें जीतने का है और सभी नेता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने के नारे के साथ आगे बढ़ेंगे।
दिलचस्प यह है कि जहां विपक्षी महागठबंधन अभी तक तालमेल की स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है, वहीं एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर विवाद की गुंजाइश लगभग न के बराबर है। भाजपा और जेडीयू दोनों का रुख एक ही दिशा में है कि चुनाव मोदी-नीतीश की जोड़ी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यही एनडीए की सबसे बड़ी ताकत भी मानी जा रही है।