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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी तस्वीर अब साफ हो गई है। इस बार भाजपा और जेडीयू बराबर ताकत के साथ मैदान में उतरेंगी, दोनों को 101-101 सीटें मिली हैं। बाकी 41 सीटें एनडीए के छोटे सहयोगियों में बांटी गई हैं। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को मिला है, जिसे 29 सीटों पर लड़ने का मौका दिया गया है।
जानकारी के अनुसार, चिराग पासवान ने शुरू में 35 सीटों की मांग की थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद समझौता 29 सीटों पर हुआ। एलजेपी-रामविलास की इन 29 सीटों में बखरी, साहेबपुर कमाल, रोसड़ा, हायघाट, लालगंज, राजा पाकड़, फतुहा, गया, हिसुआ, दानापुर, अरवल, ओबरा, और राजगीर जैसे कई अहम विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।
दूसरी ओर, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को छह सीटें मिली हैं, जिसमें सिकंदरा, कुटुंबा, बराचट्टी, इमामगंज, टेकारी और अतरी शामिल है। मांझी ने इन सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची भी तय कर दी है। इनमें इमामगंज से दीपा मांझी, बराचट्टी से ज्योति देवी, टेकारी से अनिल कुमार और सिकंदरा से प्रफुल्ल मांझी जैसे नाम तय हो चुके हैं। हालांकि मांझी इस समझौते से पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि हाईकमान का फैसला हमें मंजूर है, लेकिन केवल छह सीटें देकर हमारी ताकत को कम आंका गया है। इसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ेगा।
उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को भी छह सीटें मिली हैं, जिनमें उजियारपुर, महुआ, सासाराम, दिनारा, बाजपट्टी और मधुबनी शामिल हैं। कुशवाहा का ध्यान इस बार अपने परंपरागत वोट बैंक यानी कोइरी और कुशवाहा समुदाय पर रहेगा। वे कोशिश कर रहे हैं कि इन इलाकों में एनडीए को ठोस सामाजिक समर्थन मिले।
जदयू और भाजपा की सीटों के नाम अभी सार्वजनिक नहीं हैं लेकिन सोमवार शाम 4 बजे एनडीए की साझा प्रेस कांफ्रेंस में यह भी जारी कर दिया जाएगा।
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