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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में मुकाबला जितना दिलचस्प है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। इस चरण को एनडीए सरकार के लिए “परीक्षा की घड़ी” कहा जा रहा है, क्योंकि भाजपा और जदयू के कुल 16 मंत्री मैदान में हैं। इनमें भाजपा के 11 और जदयू के 5 मंत्री शामिल हैं। इस वजह से यह चरण सिर्फ वोटिंग का नहीं, बल्कि सरकार की स्थिरता और जनता के भरोसे की परीक्षा भी बन गया है।
भाजपा की ओर से कई वरिष्ठ मंत्री अपनी-अपनी सीटों पर डटे हैं। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सीवान से मैदान में हैं। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन बांकीपुर से चुनाव लड़ रहे हैं।
दोनों उपमुख्यमंत्री भी इस बार मैदान में हैं। सम्राट चौधरी तारापुर से और विजय कुमार सिन्हा लखीसराय से अपनी साख बचाने में जुटे हैं। इन दोनों सीटों के नतीजे भाजपा की संगठनात्मक ताकत और जनसमर्थन के स्तर को सीधे तौर पर दर्शाएंगे। नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा जाले से चुनाव लड़ रहे हैं। दरभंगा शहरी से राजस्व मंत्री संजय सरावगी अपनी उपलब्धियों के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
जदयू की ओर से जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी सरायरंजन से उम्मीदवार हैं। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार नालंदा से मैदान में हैं। समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी बहादुरपुर से, सूचना मंत्री महेश्वर हजारी कल्याणपुर से और रत्नेश सदा सोनबरसा से चुनावी संघर्ष में हैं।
बिहार के इस पहले चरण को राजनीतिक पर्यवेक्षक “मूड सेट करने वाला चरण” मान रहे हैं। यहां के नतीजे यह संकेत देंगे कि 14 नवंबर को आने वाले अंतिम परिणाम किस दिशा में जाएंगे। एनडीए के लिए यह चरण सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि एक संदेश देने का मौका है कि जनता अब भी उसके साथ है या बदलाव चाहती है।
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