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बिहार की राजनीति अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है और विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर विपक्षी दलों की रणनीतिक कवायद तेज़ हो गई है। इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने दिल्ली कूच किया है, जहां वे महागठबंधन की एक बेहद अहम और निर्णायक बैठक में शामिल हो रहे हैं। यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हो रही है, जहां बिहार की राजनीति को नई दिशा देने की तैयारी है।
बैठक में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, वाम दलों, और अन्य सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेता शामिल हो रहे हैं। यह बैठक केवल एक साधारण विमर्श नहीं, बल्कि सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर बनने वाली पहली औपचारिक सहमति की शुरुआत है। सूत्रों के मुताबिक, सभी दल इस बात पर एकमत होना चाहते हैं कि सीट बंटवारे को लेकर भविष्य में कोई मतभेद न हो और बीजेपी के खिलाफ संयुक्त मोर्चा मज़बूती से उभरे।
बिहार महागठबंधन की यह रणनीति भाजपा के उस लगातार बढ़ते चुनावी प्रभुत्व के विरुद्ध खड़ी की जा रही है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को सीधे निशाने पर लिया जाएगा। बेरोजगारी, महंगाई, महिला सुरक्षा जैसे राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय मुद्दों पर सरकार को संसद के मानसून सत्र में घेरने की रणनीति पर भी बैठक में विस्तार से चर्चा हो रही है।
बैठक का एक और संवेदनशील विषय है—मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (Special Summary Revision - SSR) जिसे लेकर विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा है कि इसके ज़रिए राज्य के 12% से 15% वोटरों के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं। तेजस्वी यादव और उनके सहयोगी नेताओं का दावा है कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सुनियोजित लोकतांत्रिक हमला है, जिसका मकसद वोटिंग राइट्स को प्रभावित करना है।