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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) की अधिसूचना जारी होने से पहले ही एनडीए खेमे में सीट बंटवारे को लेकर सियासी तापमान तेज हो गया है। मिली जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (यूनाइटेड) [जद(यू)] के बीच 243 सीटों में से लगभग 100-105 सीटों पर बराबरी का फार्मूला तय हो चुका है। इस सहमति के बाद NDA की रणनीति को मजबूती मिलती दिख रही है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सीटों की मांग बनी हुई है।
40 सीटें चाहते हैं चिराग पासवान
चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा(RV) 40 सीटों की मांग कर रही है, जबकि गठबंधन उसे लगभग 20 सीटें देने के मूड में है। यही वजह है कि बातचीत का सबसे बड़ा गतिरोध लोजपा(RV) को लेकर है। सूत्र बताते हैं कि शेष सीटें जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के बीच बांटी जा सकती हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा और जद(यू) दोनों ही बराबर हिस्सेदारी चाहते हैं। 2020 में भाजपा ने 110 और जद(यू) ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था। नतीजों में भाजपा 74 सीटें जीतकर जद(यू) (43 सीटें) से बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वहीं लोजपा ने जद(यू) के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे और कई सीटों पर उसे नुकसान पहुंचाया था। पार्टी ने 135 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए लेकिन केवल मटिहानी सीट जीत पाई। इसके बावजूद 64 सीटों पर लोजपा के वोटों ने नतीजों को प्रभावित किया था।
2024 के लोकसभा चुनावों ने लोजपा(RV) को मजबूत आधार दिया है। चिराग पासवान की पार्टी ने राज्य की सभी 5 लोकसभा सीटें जीतकर न सिर्फ 6% से ज्यादा वोट शेयर हासिल किया, बल्कि इन सीटों के अंतर्गत आने वाले 30 विधानसभा क्षेत्रों में से 29 पर बढ़त भी बनाई। यही वजह है कि लोजपा अब विधानसभा चुनाव में बड़ी हिस्सेदारी चाहती है।