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बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म है और इस बार केंद्र में हैं तेजस्वी यादव, जो 2025 के चुनाव में पूरी तरह बदले हुए नेता के रूप में सामने आ रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन महज 12 सीटों के अंतर से सत्ता से बाहर रह गया था। वोटों का अंतर केवल 11,150 का था, जो बिहार की राजनीति में किसी भी दल के लिए निर्णायक साबित हो सकता था। अब जब चुनाव आयोग ने दो चरणों में मतदान की घोषणा कर दी है, तो हर राजनीतिक दल अपने पत्ते खोलने में जुट गया है। पर इस बार सबकी निगाहें तेजस्वी यादव पर टिकी हैं, जो अब लालू यादव की छाया से निकलकर अपनी अलग राजनीतिक पहचान गढ़ने में लगे हैं।
तेजस्वी यादव का नया नारा है – “MY BAAP”, जो 2020 की ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) राजनीति से कहीं आगे जाता है। इस फॉर्मूले में M यानी मुस्लिम, Y यानी यादव, B यानी बहुजन (SC/ST समुदाय), A यानी अगड़ा (सवर्ण वर्ग), A यानी आधी आबादी (महिलाएं) और P यानी गरीब शामिल हैं। तेजस्वी का यह नया सामाजिक समीकरण उनके लिए सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक गठबंधन का प्रतीक बन गया है। वे यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अब उनकी राजनीति किसी एक जाति या वर्ग तक सीमित नहीं है।
2025 के तेजस्वी 2020 के मुकाबले कहीं अधिक परिपक्व और नपी-तुली रणनीति के साथ मैदान में हैं। वे खुद को “युवा बिहार की आवाज़” के रूप में पेश कर रहे हैं और उनकी राजनीति अब रोज़गार, शिक्षा और सम्मान के मुद्दों पर केंद्रित है। सरकारी नौकरियों के सृजन, महिलाओं को ₹2,500 मासिक सहायता, 200 यूनिट फ्री बिजली, पेंशन में बढ़ोतरी और युवा आयोग जैसी घोषणाओं ने बिहार के युवाओं और मध्यम वर्ग में उन्हें लोकप्रिय बना दिया है।
दिलचस्प यह है कि एनडीए भी अब उन्हीं मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने को मजबूर हुआ है। तेजस्वी ने हाल ही में कहा था कि सरकार मेरी कॉपी कर रही है। असली तेजस्वी आगे है, सरकार पीछे। तेजस्वी यादव अब खुद को महागठबंधन का “ओरिजिनल सीएम” फेस बता रहे हैं। वोट अधिकार यात्रा के दौरान आरा की रैली में उन्होंने राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ मंच साझा करते हुए जनता से सवाल किया था – डुप्लीकेट सीएम चाहिए या ओरिजिनल सीएम?
तेजस्वी ने लालू की M-Y राजनीति को एक नए सामाजिक गठबंधन में बदलने की कोशिश की है। वे शिक्षा, रोजगार और समानता जैसे मुद्दों पर युवा वोटर को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। लालू पर अतीत का बोझ था, लेकिन तेजस्वी पर नहीं है।
तेजस्वी यादव का ‘MY BAAP’ फॉर्मूला राजनीतिक रूप से एक बड़ा प्रयोग है। यह बिहार की जातीय राजनीति को नई दिशा देने का प्रयास है, जहां दलित, सवर्ण, मुस्लिम, महिला और गरीब - सभी को एक साझा मंच पर लाने की कोशिश की जा रही है। अगर यह रणनीति सफल होती है, तो बिहार के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
तेजस्वी यादव अब सिर्फ लालू यादव के बेटे नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के एक नए दौर के नेता बन चुके हैं। उनके सामने चुनौती है कि वे इस नई राजनीति को वोट में तब्दील कर पाएं और नीतीश कुमार के लंबे शासन के बाद बिहार को एक नया नेतृत्व दे पाएं। लेकिन एक बात तय है - 2025 का चुनाव तेजस्वी के ‘MY BAAP’ फॉर्मूले की परीक्षा जरूर बनेगा।
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