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पटना , वाईबीएन डेस्क ।बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जन सुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का विस्तृत खंडन किया है। एक प्रेस वार्ता में मंगल पांडेय ने बताया कि उन्होंने बीजेपी नेता दिलीप जायसवाल से लिया गया 25 लाख रुपये का ऋण पूरी तरह चुका दिया था और यह लेन-देन पूरी तरह कानूनी था।
लोन मामले में मंगल पांडेय का पक्ष
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि आज से करीब साढ़े चार साल पहले हमने यह पूरी राशि चेक के माध्यम से वापस कर दी थी। पैसा मेरे पिता श्री अवधेश पांडेय के खाते से वापस किया गया था, जिसका बैंक रिकॉर्ड उपलब्ध है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस लेन-देन का उनके मंत्री पद से कोई संबंध नहीं था और न ही इसके बदले में किसी प्रकार का कोई पक्षपात किया गया।
डीम्ड यूनिवर्सिटी और एंबुलेंस खरीद पर सफाई
प्रशांत किशोर के उस दावे को खारिज करते हुए जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि दिलीप जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा देने में मंगल पांडेय ने मदद की थी, मंत्री ने स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी की मान्यता देने का कार्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यह शिक्षा विभाग और यूजीसी का विषय है।
एंबुलेंस खरीद के मामले में पांडेय ने बताया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी और इसके लिए निविदा प्रक्रिया का पालन किया गया था। उन्होंने कहा कि जो पक्ष इस खरीद प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं, वे हाई कोर्ट गए हैं और मामला अभी न्यायालय में लंबित है। विभाग की ओर से अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया है।
प्रशांत किशोर ने क्या आरोप लगाए थे?
जन सुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंभीर आरोप लगाए थे। उनका दावा था कि:
मंगल पांडेय ने दिलीप जायसवाल से 25 लाख रुपये लेकर दिल्ली के द्वारका इलाके में एक फ्लैट खरीदा था।
इस पैसे को पांडेय के पिता के खाते से उनकी पत्नी उर्मिला पांडेय के खाते में ट्रांसफर किया गया था।
कोरोना काल के दौरान इस लेन-देन के बाद जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया।
बिहार सरकार ने टाइप सी एंबुलेंस की खरीद में 7 लाख रुपये प्रति एंबुलेंस की अधिक कीमत चुकाई।
Mangal Pandey Vs Prashant Kishor