Advertisment

बिहार में शराबबंदी पर बवाल: प्रशांत किशोर के विरोध के बाद तेजस्वी यादव ने बदला रुख

बिहार में शराबबंदी को लेकर राजनीतिक बहस तेज, प्रशांत किशोर के विरोध के बाद तेजस्वी यादव ने कहा- "बहुमत की राय से चलेंगे"। जानिए कैसे बदल रहा है शराब नीति का समीकरण।

author-image
YBN Bihar Desk
Bihar Sharab bandi
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

पटना , वाईबीएन डेस्क ।बिहार (Bihar) की राजनीति में शराबबंदी को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। जनसुराज के प्रशांत किशोर के "चुनाव जीतते ही शराबबंदी हटाएंगे" के बयान के बाद अब राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी अपना रुख नरम करते हुए कहा है कि वे बहुमत की राय के साथ चलेंगे। यह बदलाव बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक चार महीने पहले आया है, जो राज्य की शराब नीति को लेकर नई बहस छेड़ सकता है।

शराबबंदी पर तेजस्वी यादव का नया स्टैंड

राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि हम बुद्धिजीवियों से बात करेंगे। जहां बहुमत होगा, उसमें साथ देंगे... जब आवाज उठने लगेगी तो समीक्षा जरूरी है। यह बयान उनके पिछले स्टैंड से अलग है, जब उन्होंने केवल पासी समाज के लिए ताड़ी पर से प्रतिबंध हटाने की बात कही थी।

तेजस्वी यादव के शराबबंदी का नया स्टैंड प्रशांत किशोर के हालिया दबाव और शराबबंदी के खिलाफ बढ़ते जनमत का नतीजा हो सकता है। बिहार सरकार के आंकड़े बताते हैं कि शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक 63,442 लोग गिरफ्तार हुए हैं, जिनमें 38,741 शराब पीने वाले और 24,701 विक्रेता शामिल हैं।

नीतीश कुमार का दृढ़ रुख

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2016 में महिला सुरक्षा और अपराध कम करने के उद्देश्य से शराबबंदी लागू की थी। यह नीति जेडीयू के लिए महिला वोट बैंक हासिल करने का प्रमुख साधन रही है। हालांकि, इसके कारण राज्य को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। मद्य निषेध विभाग के एडीजी अमित कुमार जैन के मुताबिक, शराबबंदी कानून तोड़ने पर जब्त किए गए 96,000 वाहनों की नीलामी से सरकार को केवल 428.50 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है।

प्रशांत किशोर का चुनावी समीकरण

Advertisment

प्रशांत किशोर ने हाल ही में घोषणा की थी कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे "एक घंटे के भीतर शराबबंदी खत्म कर देंगे"। उनका यह बयान सीधे तौर पर नीतीश कुमार की नीति पर हमला माना जा रहा है। माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर ने जानबूझकर शराब के मुद्दे को उठाया है, जो ग्रामीण पुरुष मतदाताओं को लुभाने का काम कर सकता है।

शराब बंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार चिंता जताई है। न्यायालय ने कहा है कि इस कानून ने बिहार की अदालतों पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। आंकड़े बताते हैं कि शराबबंदी से जुड़े मामलों ने निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की न्यायिक प्रणाली को प्रभावित किया है।

Bihar News

Bihar Tejashwi Yadav Bihar news तेजस्वी यादव शराबबंदी
Advertisment
Advertisment