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बिहार की राजनीति में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मंत्री जीवेश कुमार उर्फ जीवेश मिश्रा को राजस्थान की एक अदालत ने 15 साल पुराने नकली दवा के मामले में दोषी करार दिया है। इस फैसले के बाद विपक्षी दलों ने उनके तत्काल इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है।
यह मामला सितंबर 2010 का है, जब राजस्थान के देवगढ़ (राजसमंद) में कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स कंपनी का निरीक्षण किया गया था। जांच में पाया गया कि कंपनी द्वारा बेची जा रही सिप्रोलिन-500 टैबलेट मिलावटी और अमानक श्रेणी की थी। जांच एजेंसियों ने पता लगाया कि इन दवाओं की सप्लाई ऑल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने की थी, जिसके निदेशक जीवेश मिश्रा हैं।
पिछले महीने राजसमंद कोर्ट ने इस मामले में जीवेश मिश्रा को दोषी ठहराया, हालांकि बाद में 7,000 रुपये का जुर्माना भरकर और सदाचार बनाए रखने की शर्त पर उन्हें रिहा कर दिया गया।
विपक्ष ने मांगा इस्तीफा, BJP पर सवाल
इस मामले में विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश राठौड़ ने कहा कि BJP को तुरंत जीवेश मिश्रा को पार्टी से निष्कासित करना चाहिए और नकली दवाओं के उनके नेटवर्क की जांच होनी चाहिए।
वहीं, पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग करते हुए लिखा – नीतीश जी! नकली दवा माफिया मंत्री जीवेश मिश्रा को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें। जिसने आम लोगों की जान से खिलवाड़ किया, वह बिहार का कितना नुकसान कर रहा होगा?
राजद नेत्री रोहिणी आचार्य ने भी नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार अनैतिक गठबंधन का नतीजा है। नकली दवा का कारोबारी मंत्री बना हुआ है, क्योंकि नीतीश जी खुद थीसिस चोरी के मामले में दोषी रह चुके हैं।
आपको बता दें कि जीवेश मिश्रा बिहार सरकार में नगर विकास मंत्री हैं और BJP के कोटे से मंत्री हैं। अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं, तो विपक्ष इस मुद्दे को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 तक गर्माए रख सकता है।