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बिहार की राजनीति एक बार फिर उसी पुराने लेकिन बेहद गंभीर मुद्दे पर लौट आई है — विधायकों की खरीद-फरोख्त। लेकिन इस बार यह केवल आरोप-प्रत्यारोप का मामला नहीं रहा, बल्कि आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की ओर से की गई ठोस कार्रवाई ने इसे संवेदनशील और कानूनी जामा पहना दिया है। नीतीश कुमार के विश्वास मत के दौरान कथित 'हॉर्स ट्रेडिंग' को लेकर अब राजनीतिक दलों की नींव हिलती नज़र आ रही है।
आरजेडी की चर्चित नेत्री और पूर्व मंत्री बीमा भारती को अब इस मामले में सीधा नोटिस थमा दिया गया है। EOU की ओर से उन्हें 21 जुलाई को पूछताछ के लिए पेश होने का निर्देश मिला है। यही नहीं, संजय पटेल, प्रमोद कुमार और सनी कुमार नामक अन्य तीन लोगों को भी नोटिस भेजा गया है। EOU यह जांच कर रही है कि आखिरकार नीतीश कुमार सरकार के बहुमत परीक्षण से पहले कुछ विधायकों को कैसे, किन शर्तों और किन चैनलों से तोड़ने की कोशिश की गई थी।
बीमा भारती कोई सामान्य राजनीतिक शख्सियत नहीं हैं। वह लंबे समय से RJD की सक्रिय नेता रही हैं और कई बार विधायक रह चुकी हैं।
इस पूरे मामले में एक और दिलचस्प पहलू यह है कि जिस दौरान नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर JDU और विपक्ष के साथ दोबारा गठबंधन किया, उसी समय से सियासी अस्थिरता के संकेत मिलने लगे थे। उस समय यह आरोप लगा था कि कुछ विधायकों को कथित रूप से बड़ी रकम और पद का लालच देकर पाला बदलने के लिए तैयार किया जा रहा था।