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बिहार की राजनीति और समाज दोनों ही इन दिनों एक बड़े बदलाव के गवाह बन रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिस योजना का शुभारंभ करेंगे, वह सीधे तौर पर 75 लाख महिलाओं के जीवन को बदलने का दावा कर रही है। इस योजना का नाम है मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना, जो महिलाओं को न केवल वित्तीय सहारा देगी बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्रदान करेगी।
योजना के तहत बिहार के हर परिवार की एक महिला को ₹10,000 की पहली किस्त सीधे बैंक खाते में दी जाएगी। यह राशि उनकी पसंद के रोजगार शुरू करने के लिए होगी। काम शुरू करने के छह महीने बाद उनके प्रदर्शन और कार्य की प्रगति का मूल्यांकन होगा, जिसके आधार पर उन्हें अधिकतम ₹2 लाख तक की अतिरिक्त सहायता भी मिल सकती है। इस पहल से ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों की महिलाएं अपने लिए नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकेंगी।
इस स्कीम की खासियत यह है कि इसे समुदाय आधारित मॉडल पर बनाया गया है। यानी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को न केवल पूंजी बल्कि प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि वे रोजगार को लंबे समय तक चला सकें। इसके साथ ही राज्य सरकार ग्रामीण हाट और बाजारों को आधुनिक बनाने पर भी जोर दे रही है, ताकि महिलाएं अपने उत्पादों को आसानी से बाजार तक पहुंचा सकें। इससे उनकी कमाई और आत्मनिर्भरता दोनों में बढ़ोतरी होगी।
योजना का लाभ पाने के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं। महिला आवेदक बिहार की स्थायी निवासी होनी चाहिए और उसकी आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10+2, आईटीआई, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष रखी गई है। यह योजना पूरी तरह से समावेशी है, जिसमें सभी धर्मों और जातियों की महिलाएं शामिल होंगी, साथ ही ट्रांसजेंडर समुदाय को भी इसका लाभ मिलेगा। हालांकि, शर्त यह है कि आवेदक के परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो और न ही वह आयकर दाता हो।
स्पष्ट है कि यह योजना बिहार की महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और रोजगार का नया विकल्प देने के साथ-साथ राज्य की राजनीति में भी बड़ा असर डाल सकती है। 75 लाख महिलाओं को जोड़ने वाली यह पहल आने वाले विधानसभा चुनाव में भी अहम भूमिका निभा सकती है।
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