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सम्राट तय, अब बिहार में राजपूत Dy CM पर फोकस; तीसरा पद खुला तो चिराग की LJP-R की बारी

बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन से पहले उपमुख्यमंत्री पद को लेकर गहमागहमी तेज है। सम्राट चौधरी लगभग तय माने जा रहे हैं, जबकि दूसरा पद राजपूत समाज को मिल सकता है। तीसरे पद की संभावना बनी तो चिराग पासवान की पार्टी को बड़ा मौका मिल सकता है।

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YBN Bihar Desk
Nitish Kumar Bihar CM Candidate

बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद नई एनडीए सरकार के गठन को लेकर गहन मंथन तेज हो गया है। सबसे बड़ी बहस इस बात पर है कि नीतीश कुमार की नई सरकार में उपमुख्यमंत्री दो होंगे या तीन। बीजेपी में सम्राट चौधरी का नाम लगभग निश्चित माना जा रहा है, जबकि दूसरे डिप्टी सीएम पद पर राजपूत समाज के किसी नेता के आने की चर्चा पूरे राजनीतिक गलियारों में है। तीसरे पद की संभावना तभी बनती है जब एनडीए का शीर्ष नेतृत्व मंत्रिमंडल विस्तार को बड़ा रूप देता है, और अगर ऐसा हुआ तो चिराग पासवान की पार्टी को बड़ा अवसर मिल सकता है।

एनडीए के भीतर सामाजिक समीकरण इस बार पहले से ज्यादा अहम हो गए हैं। पिछली सरकार में सम्राट चौधरी की पकड़ मजबूत हुई और अल्प समय में वे भाजपा के सबसे प्रभावी चेहरों में शामिल हो गए। प्रचार अभियान के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को “बड़ा आदमी” बनाने की बात भी कही थी। लेकिन बदले हुए समीकरण में भाजपा इस बार भूमिहार के बजाय राजपूत समाज को महत्व देने की ओर झुकती दिख रही है।

बिहार विधानसभा में इस बार 32 राजपूत विधायक जीते हैं, जबकि भूमिहारों की संख्या 22 है। सिर्फ भाजपा की बात करें तो उसके 19 राजपूत और 12 भूमिहार विधायक विजयी हुए हैं। जदयू के 7-7 विधायक इन दोनों जातियों से आते हैं, जबकि चिराग पासवान की लोजपा-आर में 5 विधायक राजपूत समाज से हैं। यह संख्या सीधे बताती है कि राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व इस बार किसी प्रमुख पद पर लगभग तय माना जा रहा है।

लव-कुश का समीकरण पहले से नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी मिलकर संभाल लेते हैं, ऐसे में पार्टी को सवर्ण समाज का संतुलन भी साधना ही होगा। इस संतुलन में राजपूतों की दावेदारी भूमिहारों से काफी भारी पड़ती दिख रही है। 202 विधायक वाले एनडीए की ओर से दलित समाज के भी 35 विधायक आए हैं। ऐसे में यदि तीसरे डिप्टी सीएम पद पर विचार हुआ तो लोजपा-आर के जरिए दलित नेतृत्व को जगह देने का रास्ता भी खुल सकता है।

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नए मंत्रिमंडल के आकार को लेकर भी गणना साफ हो रही है। अधिकतम 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं और सूत्रों के मुताबिक छह विधायकों पर एक मंत्री का फॉर्मूला लागू किया जा सकता है। इस आधार पर भाजपा को 15-16, जदयू को 14-15, लोजपा-आर को 3-4 और हम तथा रालोमो को एक-एक सीट मिल सकती है। यह फॉर्मूला तय करेगा कि सत्ता में किस समुदाय को कितना प्रतिनिधित्व मिलेगा और उप-मुख्यमंत्री पद किनके हिस्से आएंगे।

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