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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीतिक जंग का अंतिम दौर शुरू हो गया है। चुनाव आयोग की घोषणा के बाद अब नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में सीट बंटवारे पर अंतिम फैसले की कवायद तेज हो चुकी है। इसी कड़ी में आज दिल्ली में एनडीए की एक उच्च-स्तरीय रणनीतिक बैठक हो रही है, जिसमें गठबंधन के सभी घटक दल शामिल हो रहे हैं और उम्मीदवारों की सूची पर आखिरी मुहर लगने की उम्मीद है।
इस अहम बैठक में गठबंधन के सभी प्रमुख सूत्रधार मौजूद हैं। बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री एवं बिहार प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान, आरएलएम के नेता उपेंद्र कुशवाहा और हम (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन शिरकत कर रहे हैं। इस बैठक की कमान एनडीए के सह-प्रभारी अरुण भारती और हुलास पांडे संभाल रहे हैं, जो यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि सभी दलों के बीच सहमति का एक सूत्र निकल सके।
हालांकि, इस बैठक से पहले ही गठबंधन के एक सहयोगी दल ने एक बड़ा और दिलचस्प बयान देकर सबका ध्यान खींचा है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन ने साफ किया कि उनकी पार्टी सिर्फ मगध क्षेत्र तक सीमित नहीं रहना चाहती। उन्होंने कहा कि हम सीमांचल, जमुई, सारण और अन्य इलाकों में भी चुनाव लड़ना चाहते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में हमारा अच्छा-खासा वोट बैंक है।
संतोष सुमन ने एक रहस्यमयी बयान देते हुए खुलासा किया कि महागठबंधन के बड़े नेताओं के फोन आने शुरू हो गए हैं, लेकिन उन्होंने इसे 'राज' ही रहने देने की बात कही। उन्होंने एनडीए के प्रति अपनी वफादारी जताते हुए एक अनोखा विकल्प भी पेश किया। उन्होंने कहा कि अगर सीटों को लेकर तालमेल नहीं बैठा तो हम एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन गठबंधन को पूरा समर्थन देंगे।
इस बीच, लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान की जिद गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। चिराग खुद दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और बीजेपी पर दबाव बनाने में जुटे हैं। वह अपनी पार्टी के लिए 35 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि भाजपा की तरफ से अभी तक उन्हें केवल 25 सीटों का ही प्रस्ताव मिला है। यह अंतर आज की बैठक का एक प्रमुख एजेंडा बिंदु है। सूत्रों का कहना है कि एनडीए महागठबंधन की उम्मीदवार सूची का इंतजार कर रहा है, ताकि वह उसके मुताबिक अपनी रणनीति के साथ एक जवाबी और मजबूत सूची जारी कर सके। ऐसे में, अगले 24 से 48 घंटे बिहार की राजनीतिक दिशा तय करने वाले साबित होंगे।
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