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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सियासी पारा दिन-ब-दिन चढ़ता जा रहा है। इस बीच एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा राजनीतिक बयान देकर हलचल मचा दी है। ओवैसी ने दावा किया है कि अगर इस बार बिहार में एनडीए गठबंधन की जीत होती है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं होंगे, बल्कि भाजपा का कोई नेता सत्ता की कमान संभालेगा। ओवैसी का यह बयान इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि लंबे समय से नीतीश कुमार को एनडीए का सीएम फेस माना जाता रहा है।
ओवैसी ने एक इंटरव्यू में कहा कि बिहार की राजनीति तेजी से बदल रही है और एनडीए के भीतर भी हालात अलग हैं। उन्होंने साफ कहा कि नीतीश कुमार की जगह भाजपा अपना चेहरा आगे करेगी। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी सिर्फ मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने के लिए चुनाव मैदान में है और भाजपा की बी टीम की तरह काम कर रही है, तो उन्होंने पलटवार किया और कहा कि यह सिर्फ आरोप है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि विपक्ष को उनसे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि वह साफ और पारदर्शी राजनीति में यकीन करते हैं।
सीमांचल से तीन दिवसीय न्याय यात्रा की शुरुआत कर चुके ओवैसी ने लालू यादव और तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर दुश्मन भी आपके घर आ जाए तो उसे बिठाकर बात करनी चाहिए। लेकिन विपक्षी दल उन्हें लेकर डर और असुरक्षा की राजनीति कर रहे हैं। ओवैसी ने दावा किया कि सीमांचल में उनकी पार्टी पहले की तरह इस बार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और वहां जो भी दल चुनाव लड़ेगा, वह उसे कड़ी चुनौती देंगे।
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल में पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। हालांकि बाद में उनके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए। इसके बावजूद ओवैसी के प्रभाव को नजरअंदाज करना आसान नहीं है। यही कारण है कि इस बार भी उनका चुनावी अभियान चर्चा में है।
ओवैसी ने हाल ही में यह भी संकेत दिया था कि अगर उनकी पार्टी को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में छह सीटें मिलती हैं तो वह शामिल होने को तैयार हैं। किशनगंज में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब गेंद विपक्ष के पाले में है। अगर उन्हें जगह नहीं दी गई तो यह साफ हो जाएगा कि असल में भाजपा की मदद कौन कर रहा है। ओवैसी का यह बयान एक ओर जहां विपक्ष के लिए चुनौती है, वहीं एनडीए में भी सियासी समीकरणों को लेकर नई बहस छेड़ रहा है।
बिहार की राजनीति में ओवैसी का यह दांव इसलिए भी अहम है क्योंकि सीमांचल की लगभग दो-तिहाई आबादी मुस्लिम है और वहां एआईएमआईएम की पकड़ मजबूत मानी जाती है। ऐसे में उनके दावों और बयानों ने नीतीश कुमार की भविष्य की भूमिका और भाजपा की रणनीति को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
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