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बिहार NDA सीट बंटवारा: JDU की हिस्सेदारी 122 से घटकर 100 क्यों, भाजपा की बढ़ती ताकत और नीतीश की चुनौती

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले NDA में सीट बंटवारे का फार्मूला तय होता दिख रहा है। जेडीयू को 122 से घटाकर सिर्फ 100 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि भाजपा बराबरी का दावा कर रही है।

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YBN Bihar Desk
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए (NDA) में सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, जेडीयू (JDU) को इस बार केवल 100–102 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि भाजपा (BJP) को 100–101 सीटें मिल सकती हैं। लोजपा (रामविलास) को करीब 20 सीटें और हम (HAM) व रालमो (RLM) को 10–10 सीटें देने की तैयारी है। इसका सीधा मतलब है कि 2020 में 122 सीटें पाने वाली जेडीयू की ताकत इस बार घटकर 100 के आसपास सीमित हो रही है।

BJP कर रही बराबरी का दावा 

2020 में एनडीए ने जिस फॉर्मूले पर चुनाव लड़ा था, उसमें जेडीयू को 122 सीटें और भाजपा को 121 सीटें दी गई थीं। उस वक्त जीतनराम मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआईपी भी गठबंधन का हिस्सा थे। तब जेडीयू ने अपने हिस्से से 7 सीटें हम को दी थीं और भाजपा ने 11 सीटें वीआईपी को सौंपी थीं। लेकिन चुनाव परिणामों ने पूरा समीकरण बदल दिया। भाजपा ने 74 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा हासिल किया, जबकि जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गई। यही कारण है कि इस बार भाजपा बराबरी का दावा कर रही है और जेडीयू को पहले जैसी हिस्सेदारी देने को तैयार नहीं।

माना जा रहा है कि 2020 का प्रदर्शन ही 2025 के सीट बंटवारे का आधार बन गया है। भाजपा ने न केवल अपनी संगठनात्मक क्षमता और जनाधार को मजबूत किया बल्कि अब सीट बंटवारे में भी वर्चस्व दिखा रही है। दूसरी ओर नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने और घटते जनाधार ने जेडीयू की मोलभाव करने की ताकत कमजोर कर दी है।

नीतीश कुमार के हालिया दिल्ली दौरे के बाद माना जा रहा है कि एनडीए की बड़ी बैठक में इस फार्मूले पर औपचारिक मुहर लग जाएगी। इसके बाद चुनावी शंखनाद भी लगभग तय है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जेडीयू 100 सीटों पर चुनाव लड़कर अपना पुराना राजनीतिक असर बचा पाएगी या फिर 2020 जैसी हार की कहानी दोहराई जाएगी। अगर भाजपा को दोबारा बढ़त मिलती है तो नीतीश कुमार की सियासी स्थिति और कमजोर हो सकती है, जिससे बिहार की राजनीति में नए समीकरण भी उभर सकते हैं।

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