/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/17/nda-jdu-sushasan-ka-sar-aapke-dwar-abhiyan-2025-08-17-12-19-21.jpg)
बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी माहौल गरमा गया है। महागठबंधन जहां वोट अधिकार यात्रा के जरिए मतदाता सूची में गड़बड़ी और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले का मुद्दा उठा रहा है, वहीं एनडीए ने महिलाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नया चुनावी अभियान छेड़ दिया है। जेडीयू के नेतृत्व में शुरू हुआ ‘सुशासन का सार, आपके द्वार’ अभियान शनिवार को पटना स्थित जदयू दफ्तर से सैकड़ों गाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किए जाने के साथ शुरू हो गया।
गांवों में जाकर महिला नेत्रियां बताएंगी नीतीश कुमार की उपलब्धियां
इस अभियान की खासियत यह है कि गाड़ियों में महिला नेत्रियां सवार हैं, जो गांव-गांव जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपलब्धियों और महिलाओं के लिए शुरू की गई योजनाओं की जानकारी देंगी। गाड़ियों पर बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए हैं जिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीरों के साथ लिखा है—“2025 फिर से नीतीश, सुशासन का सार आपके द्वार, नहीं थमेगी विकास की रफ्तार, फिर से एनडीए सरकार।”
जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, एलजेपी (रामविलास) अध्यक्ष राजू तिवारी, हम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और आरएलएम प्रदेश अध्यक्ष ने संयुक्त रूप से गाड़ियों को रवाना किया। नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ प्रचार नहीं बल्कि संवाद का अभियान है। इसके जरिए सरकार महिलाओं से सीधे जुड़कर यह बताएगी कि पिछले वर्षों में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में क्या काम हुए हैं और आगे की क्या योजनाएं हैं। साथ ही महिलाओं की समस्याओं और सुझावों का फीडबैक भी लिया जाएगा।
माना जा रहा है कि यह अभियान सीधे महिला वोटरों को साधने की कोशिश है। बिहार में महिला वोटरों की संख्या करीब 48 प्रतिशत है और पारंपरिक रूप से उन्हें नीतीश कुमार का मजबूत आधार माना जाता है। शराबबंदी, साइकिल योजना, आरक्षण और पंचायत स्तर पर महिलाओं की भागीदारी जैसे फैसलों ने नीतीश कुमार को महिला मतदाताओं के बीच खासा लोकप्रिय बनाया है।
वहीं, महागठबंधन भी महिला वोटरों को साधने के लिए आक्रामक रणनीति पर काम कर रहा है। हाल ही में तेजस्वी यादव और कांग्रेस ने ‘माई बहिन मान योजना’ का ऐलान किया है, जिसके तहत अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो गरीब महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। ऐसे में बिहार की राजनीति में महिला वोटरों का समीकरण आने वाले चुनाव में सबसे बड़ा निर्णायक कारक बन सकता है।