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पटना , वाईबीएन डेस्क । बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ा फेरबदल हुआ है। राज्य सरकार ने एक व्यापक सुरक्षा समीक्षा के बाद छह प्रमुख नेताओं की सुरक्षा श्रेणियों को अपग्रेड किया है। यह फैसला 1 अगस्त को गृह विभाग (विशेष शाखा) द्वारा बुलाई गई बैठक में लिया गया था। सुरक्षा में यह बदलाव न सिर्फ राजनीतिक माहौल की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि आगामी चुनावी मौसम कितना संवेदनशील हो सकता है।
सम्राट चौधरी को मिली Z+ सुरक्षा
सबसे बड़ा बदलाव राज्य के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता सम्राट चौधरी के सुरक्षा घेरे में देखने को मिला। उन्हें अब Z+ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी, जो देश में वीवीआईपी सुरक्षा के उच्चतम स्तर में गिनी जाती है। इस श्रेणी में एनएसजी कमांडो सहित एक बड़ा सुरक्षा दल 24 घंटे चौकसी करता है। इस निर्णय के पीछे संभावित राजनीतिक गतिविधियों और खुफिया रिपोर्टों का गहरा विश्लेषण बताया जा रहा है।
वहीं, आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को Z श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। हालांकि यह Z+ से एक स्तर कम मानी जाती है, लेकिन इसमें भी पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी रहते हैं, जो उनके हर मूवमेंट पर नज़र रखते हैं। तेजस्वी, जो राज्य में विपक्ष का बड़ा चेहरा हैं, आने वाले चुनावों में एक केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए उनकी सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
इसके अलावा, पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की सुरक्षा श्रेणी को भी Y से Y+ में अपग्रेड किया गया है। Y+ श्रेणी में आमतौर पर 8 से 11 सुरक्षाकर्मी रहते हैं, जिनमें कुछ प्रशिक्षित कमांडो भी शामिल होते हैं। पप्पू यादव लंबे समय से जनहित मुद्दों पर मुखर रहे हैं और पूर्व में भी कई बार खतरे का सामना कर चुके हैं।
राज्य सरकार ने इस सुरक्षा समीक्षा में जेडीयू नेता नीरज कुमार, बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और अररिया से सांसद प्रदीप कुमार सिंह की सुरक्षा भी बढ़ाई है। इन नेताओं की सुरक्षा में इजाफा राज्य की वर्तमान सुरक्षा चुनौतियों और उनके राजनीतिक दायित्वों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
गृह विभाग के अनुसार, यह सुरक्षा व्यवस्था खुफिया एजेंसियों से मिली रिपोर्टों और हालिया घटनाक्रमों के आधार पर तय की गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि चुनावी सीज़न में राजनीतिक नेताओं को टारगेट बनाने की आशंका हमेशा बनी रहती है, और इसी वजह से यह पूर्व-सावधानी जरूरी हो जाती है।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और ऐसे में नेताओं की सुरक्षा में यह बदलाव इस बात की पुष्टि करता है कि सियासी मुकाबला न केवल कड़ा होगा बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद सतर्कता भरा।