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Bihar NDA controversy : बिहार एनडीए में फिर ‘चिराग बम’ : गठबंधन की दीवारों में दरार या रणनीतिक शोर

बिहार में चिराग पासवान के बयान ने एनडीए में सियासी हलचल बढ़ा दी है। मांझी ने उन्हें अनुभवहीन बताया, तो जेडीयू ने तीखी प्रतिक्रिया दी। जानिए पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण।

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Manoj Pratap
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पटना, वाईबीएन डेस्क। बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाई गई है। इस बार वजह कोई बाहरी नहीं, बल्कि ‘घर के चिराग’ से उठी चिंगारी है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान द्वारा बिहार सरकार के खिलाफ दिए गए बयान ने एनडीए के भीतर चल रही अंतर्विरोधों को फिर से उजागर कर दिया है।

चिराग ने सूबे में गिरती कानून व्यवस्था पर बोला हमला 

चिराग ने पटना में स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें ऐसी सरकार का समर्थन करना दुखद लगता है, जो राज्य में अपराध पर काबू पाने में असफल है। उनका यह बयान न केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला माना जा रहा है, बल्कि यह संकेत भी है कि एनडीए में सबकुछ सामान्य नहीं है। चिराग के इस बयान पर केन्द्रीय मंत्री मांझी और जेडीयू ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। 

मांझी ने चिराग को राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताया

यह पहला मौका नहीं जब चिराग पासवान ने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हों। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव से पहले उनका तेवर कुछ ज्यादा तल्ख नजर आया। उनके इस बयान पर सबसे पहले प्रतिक्रिया दी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने। मांझी ने चिराग को 'राजनीतिक रूप से अपरिपक्व' और 'बिना अनुभव वाला नेता' बताया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि चिराग पासवान 2020 के चुनाव में एनडीए के खिलाफ अलग लाइन पर चले थे, जिससे गठबंधन को नुकसान हुआ।

जेडीयू ने कहा, जहां सुख मिले वहां चले जाएं

जेडीयू का रुख भी कुछ कम तीखा नहीं रहा। पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने चिराग की बेचैनी पर तंज कसते हुए कहा कि "जहां सुख मिले वहां चले जाएं, किसी ने रोका नहीं है।" उन्होंने आगे यह सवाल भी खड़ा किया कि अगर चिराग पासवान को बिहार पुलिस पर भरोसा नहीं है तो फिर उन्हें पुलिस सुरक्षा लेने का कोई हक नहीं।

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यह प्रतिक्रिया इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि जेडीयू और लोजपा (रामविलास) दोनों ही एनडीए के घटक हैं, लेकिन आपसी रिश्ते हमेशा तल्ख रहे हैं। चिराग पासवान नीतीश कुमार को चुनौती देने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते और जेडीयू हर बार उन्हें ‘सीमा में रहने’ की चेतावनी देती रही है।

बीजेपी ने अब तक इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन मौन भी कई बार संदेश देता है। पार्टी का यह चुप रहना दर्शाता है कि वह इस मुद्दे को तूल नहीं देना चाहती, लेकिन अंदर ही अंदर खामोशी से चीज़ों का मूल्यांकन जरूर कर रही है।

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