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बिहार की सियासत में इस वक्त एक नई धुन गूंज रही है और इस बार ताल राजनीतिक मंच पर गाई जा रही है। लोकप्रिय लोकगायिका मैथिली ठाकुर के भाजपा नेताओं विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि पार्टी उन्हें आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मैदान में उतार सकती है। यह मुलाकात भले ही औपचारिक कही जा रही हो, लेकिन तावड़े का ट्वीट इस राजनीतिक चर्चा को और पुख्ता करता है।
दरअसल, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) विनोद तावड़े ने मुलाकात के बाद लिखा कि बदलते बिहार की रफ्तार को देखकर बिहार की बिटिया मैथिली ठाकुर अब अपने राज्य के विकास में योगदान देना चाहती हैं। उनके इस बयान को सियासी गलियारों में एक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि भाजपा अब नई और सांस्कृतिक पहचान वाली युवा चेहरों को राजनीति में लाने की रणनीति पर काम कर रही है।
मधुबनी जिले के बेनीपट्टी की रहने वाली 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर का नाम बिहार की लोकसंस्कृति और संगीत से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने 2011 में “सारेगामापा लिटिल चैंप्स” के मंच से पहचान बनाई और आज वह मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक प्रतीक बन चुकी हैं। गीत-संगीत में अपनी जड़ों को सहेजते हुए उन्होंने देशभर में “लोक गायन” को आधुनिक पहचान दी। इस वजह से भाजपा के लिए वे एक ऐसी ‘कल्चरल आइकन’ हैं जो युवा, महिला और सांस्कृतिक मतदाताओं तक पहुंच बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार भाजपा ‘सांस्कृतिक भावनाओं’ और ‘युवा प्रतिनिधित्व’ को जोड़ने की रणनीति अपना रही है। यह वही रणनीति है जिसके तहत पहले भी भाजपा ने कला, खेल और समाजसेवा से जुड़े चेहरों को राजनीति में लाया। मैथिली ठाकुर का नाम इस रणनीतिक प्रयोग के तहत देखा जा रहा है।
हालांकि सवाल यह भी है कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है, तो किस सीट से मैदान में उतारेगी? चूंकि मैथिली बेनीपट्टी की मूल निवासी हैं, इसलिए यह सीट सबसे संभावित मानी जा रही है। लेकिन यहां पहले से भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद नारायण झा विधायक हैं, जो 1977 के जेपी आंदोलन से राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उनकी उम्र 68 वर्ष है, लेकिन पार्टी में इससे भी वरिष्ठ नेता सक्रिय हैं। ऐसे में टिकट काटने का जोखिम भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण फैसला होगा।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के भीतर भी इस पर चर्चा है कि मैथिली ठाकुर जैसे चेहरे को पार्टी की “नई बिहार छवि” के प्रतीक के रूप में आगे लाया जा सकता है। उनके संगीत और सोशल मीडिया प्रभाव का फायदा भाजपा को शहरी और ग्रामीण, दोनों वोटबैंक में मिल सकता है।
यह भी गौर करने योग्य है कि चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मैथिली ठाकुर को ब्रांड एंबेसडर बनाया था। इस भूमिका में उन्होंने मतदान जागरूकता अभियानों में भाग लिया था और युवा मतदाताओं से बड़ी संख्या में जुड़ी थीं। ऐसे में उनका राजनीतिक चेहरा बनने की संभावना अब केवल अटकल नहीं, बल्कि भाजपा की संभावित रणनीति का हिस्सा लगने लगा है।
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