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बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बना चुके जनसुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने मोदी सरकार के उस बिल का समर्थन किया है, जिस पर इस समय राष्ट्रीय स्तर पर सियासी बहस छिड़ी हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए हैं। इनमें प्रस्ताव है कि अगर किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराध में दोषी करार दिए जाने के बाद 30 दिनों तक हिरासत में रहना पड़े, तो उन्हें पद छोड़ना होगा।
मोदी सरकार के बिल पर विपक्ष के विरोध में प्रशांत किशोर
जहां विपक्षी दल इस विधेयक को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बता रहे हैं, वहीं प्रशांत किशोर ने इसे संविधान और लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी बताया। प्रशांत किशोर ने कहा कि जब संविधान लिखा गया था, तब शायद इसके निर्माताओं ने यह सोचा भी नहीं होगा कि सत्ता में बैठे लोग ऐसे अपराधों में फंसेंगे, जिनके लिए उन्हें जेल जाना पड़े। उनके अनुसार यह पूरी तरह जायज है कि जिस पर गंभीर आरोप हों और वह जेल में हो, वह सत्ता का संचालन नहीं कर सकता।
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर आने वाले चुनाव में खुद को बिहार में एनडीए का विकल्प बता रहे हैं। लेकिन इस मुद्दे पर राजनीतिक विरोध छोड़कर प्रशांत किशोर ने मोदी सरकार के बिल का नैतिक समर्थन किया है।