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कितना पैसा लिए हो शराब वालों से? जेडीयू का प्रशांत किशोर पर बड़ा वार, बिहार की सियासत में शराबबंदी पर तेज हुई बहस

बिहार में शराबबंदी पर गरमा गई राजनीति। जेडीयू महासचिव मनीष वर्मा ने प्रशांत किशोर से पूछा- शराब वालों से कितना पैसा लिया है? सरकार बनने पर शराबबंदी हटाने का ऐलान किया है।

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YBN Bihar Desk
Prashant Kishor Bihar Sharabbandi
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बिहार की सियासत में शराबबंदी एक बार फिर से बड़ा मुद्दा बन गई है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में ऐलान किया था कि उनकी सरकार बनी तो राज्य से शराबबंदी कानून को तुरंत खत्म कर दिया जाएगा। इस बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने उन पर सीधा हमला बोल दिया है। मधुबनी जिले के लौकहा विधानसभा क्षेत्र में एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान वर्मा ने सवाल किया कि प्रशांत किशोर ने शराब कारोबारियों से कितना पैसा लिया है और क्या उसी पैसे से उनका प्रचार अभियान चल रहा है।

गांधी जी ने बताया था शराबबंदी को आदर्श समाज का पहला कदम

मनीष वर्मा ने अपने भाषण में कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा शराबबंदी को आदर्श समाज की दिशा में पहला कदम बताया था। गांधी जी के मुताबिक यदि उन्हें थोड़े समय के लिए भी तानाशाह बनने का अवसर मिले तो सबसे पहले वह शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएंगे और सभी दुकानें बंद करा देंगे। उन्होंने प्रशांत किशोर पर तंज कसते हुए कहा कि जो नेता खुद को गांधीवादी बताते हैं, वही आज सत्ता में आने से पहले शराब की “नदी बहाने” की बात कर रहे हैं।

दरअसल, 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन की सरकार के दौरान बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी। इस कानून के तहत लाखों गिरफ्तारियां हुईं, हजारों मामले अदालतों तक पहुंचे और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके बढ़ते बोझ को लेकर टिप्पणी की। लेकिन आठ साल बाद भी इस कानून को लेकर विवाद थमा नहीं है। जहां जेडीयू इसे समाज सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताता है, वहीं प्रशांत किशोर इसे असफल प्रयोग कहकर जनता के साथ धोखा मानते हैं।

इतिहास पर नजर डालें तो बिहार में शराबबंदी पहली बार 1977 में जनता पार्टी की सरकार में लागू हुई थी, लेकिन नेताओं, अफसरों और शराब माफिया की मिलीभगत ने इसे अवैध कमाई का जरिया बना दिया। वही स्थिति 2016 के बाद भी देखने को मिली। शराब की तस्करी बढ़ी, पुलिस और प्रशासन पर सवाल उठे और सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। प्रशांत किशोर लगातार कहते रहे हैं कि गांधी जी ने शराब को बुरी चीज जरूर बताया था, लेकिन उन्होंने कभी कानूनी प्रतिबंध लगाने की वकालत नहीं की। किशोर का कहना है कि सरकार का काम लोगों को जागरूक करना होना चाहिए, न कि जबरन रोक लगाना।

Prashant Kishor

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