बिहार में वर्षों से लागू शराबबंदी कानून को चकमा देने के लिए शराब माफिया ने अब एक नया और चौंकाने वाला तरीका अपनाया है – महिला तस्करों के जरिए ट्रॉली बैग से शराब की तस्करी। हाल ही में मुजफ्फरपुर में उत्पाद विभाग की छापेमारी से यह खुलासा हुआ कि महिलाओं को 'फ्रंटलाइन स्मगलर' के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
इन महिला तस्करों की खासियत यह है कि ये खुद को आम यात्रियों के रूप में प्रस्तुत करती हैं और रेलवे स्टेशनों व बस स्टॉप्स से बिना स्कैनिंग वाले रास्तों का इस्तेमाल कर शराब बिहार में पहुंचा देती हैं। ये महिलाएं उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड से शराब लाकर कपड़ों के बीच छिपाकर ट्रॉली बैग में भरती हैं और फिर ट्रेन या बस से मुजफ्फरपुर पहुंचती हैं।
20 सदस्यीय महिला गैंग का पर्दाफाश
मुजफ्फरपुर के कच्ची-पक्की इलाके से गिरफ्तार रितु कुमारी ने बताया कि वह 20 सदस्यीय महिला गैंग की सदस्य है। उनका काम होता था हर बार अलग-अलग ग्रुप में सफर कर शराब लाना और डिलीवरी करना। इस नेटवर्क में प्रत्येक महिला को प्रति डिलीवरी कमीशन, और माफिया की ओर से सुरक्षा व कानूनी मदद का भरोसा दिया जाता था।
इन महिलाओं की प्लानिंग इतनी मजबूत थी कि वे मोबाइल ऐप्स, कॉल और मैसेजिंग का उपयोग कर संपर्क में रहती थीं। ट्रॉली बैग में छिपी शराब को ई-रिक्शा या ऑटो से सीधे ग्राहकों तक पहुंचाया जाता था। महिलाएं दिखने में इतनी सामान्य होती थीं कि सुरक्षा एजेंसियां उन्हें संदेहास्पद मानने से चूक जाती थीं।
उत्पाद विभाग की ताबड़तोड़ कार्रवाई
कुढ़नी, तुर्की और मनियारी थाना क्षेत्रों में की गई छापेमारी में तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया—दौलत देवी, अवधेश सहनी और छोटू पंडित। छोटू पंडित को होम डिलीवरी के दौरान रंगे हाथ पकड़ा गया। इनके पास से विदेशी और देशी शराब की बोतलें बरामद की गईं।
उत्पाद निरीक्षक दीपक कुमार सिंह के अनुसार, इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की कार्रवाई तेज़ी से की जा रही है। यह मामला यह साबित करता है कि शराबबंदी के बावजूद शराब माफिया बिहार में सक्रिय हैं और महिलाओं को एक नया मोहरा बना रहे हैं।