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बिहार विधानसभा चुनाव की आहट अब साफ सुनाई देने लगी है। राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिरकार मतदान की तारीखों का ऐलान कब होगा। चुनाव आयोग की गतिविधियों ने इस अटकल को और हवा दे दी है। खबर है कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार इस हफ्ते अपने दल-बल के साथ बिहार दौरे पर आ सकते हैं। जैसे ही आयोग की पूर्ण पीठ बिहार पहुंचेगी, चुनावी सरगर्मी चरम पर होगी और वोटिंग डेट्स को लेकर चर्चाएं और तेज हो जाएंगी।
2020 में तीन चरणों में हुए थे चुनाव
2020 के विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हुए थे। पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को, दूसरे चरण की 3 नवंबर को और तीसरे चरण की 7 नवंबर को कराई गई थी। इस बार भी माना जा रहा है कि आयोग अक्टूबर-नवंबर के बीच चुनाव कार्यक्रम घोषित कर सकता है। आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती त्योहारों का मौसम है। दशहरा 2 अक्टूबर को है, दिवाली 19 अक्टूबर को और लोक आस्था का महापर्व छठ 25 से 28 अक्टूबर के बीच होगा। इसलिए चुनाव की तारीखों को लेकर आयोग को बेहद सावधानी से संतुलन बनाना होगा ताकि मतदान प्रक्रिया और धार्मिक आयोजनों में टकराव न हो।
एक और अहम पहलू मतदाता सूची का है। बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण चल रहा है और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी। आयोग तभी चुनावी तारीखों पर अंतिम निर्णय लेगा। सूत्रों का कहना है कि 22 नवंबर तक नई विधानसभा का गठन होना है, ऐसे में चुनाव कार्यक्रम अक्टूबर के पहले पखवाड़े में कभी भी घोषित हो सकता है।
इसी बीच एक और बड़ी तैयारी भी सामने आई है। चुनाव आयोग दशहरे के बाद राष्ट्रीय स्तर पर गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) शुरू करेगा। हालांकि, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में फिलहाल बाढ़ और राहत कार्य चल रहे हैं, इसलिए वहां SIR की तारीखें बाद में तय होंगी। कई राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव भी होने हैं, इसलिए वहां भी फिलहाल यह अभ्यास टाला जाएगा।
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