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बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन आज फिर विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा किया। एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) को लेकर विपक्ष के आक्रोश ने सदन में अराजकता फैला दी, जहां विधायकों ने कुर्सियां पलट दीं, टेबल उठा लिए और मार्शलों के साथ धक्कामुक्की तक की नौबत आ गई। इस अराजकता के बीच स्पीकर नंद किशोर यादव ने विपक्ष को शांत करने की कोशिश की, लेकिन विधायक नहीं माने, जिसके बाद सदन की कार्यवाही को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
दोपहर 2 बजे जब सदन की दूसरी पाली की कार्यवाही शुरू हुई, तो विपक्षी विधायकों ने तुरंत वेल में पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। राजद, कांग्रेस और वामदल के विधायकों ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर तुरंत चर्चा की मांग की। जब स्पीकर ने उनकी मांग ठुकरा दी, तो विपक्ष ने सदन में तोड़फोड़ शुरू कर दी। कुछ विधायकों ने रिपोर्टिंग टेबल उठा लिया, तो कुछ ने कुर्सियां पलट दीं। महिला विधायकों ने भी इस हंगामे में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कुर्सियों को उछाला।
मार्शलों से हुई धक्कामुक्की, स्पीकर ने दी 'लोकतंत्र के मंदिर' की दुहाई
इस दौरान सदन में तैनात मार्शलों ने विधायकों को रोकने की कोशिश की, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने उनके साथ धक्का-मुक्की तक की। स्पीकर नंद किशोर यादव ने विधायकों से शांत होने की अपील की और कहा कि यह लोकतंत्र का मंदिर है, यहां इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। लेकिन विपक्ष ने उनकी एक न सुनी और हंगामा जारी रखा।
वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया कि विपक्ष मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर तुरंत चर्चा चाहता है। उन्होंने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाने की मांग की, लेकिन स्पीकर ने इनकार कर दिया। इसके बाद ही विपक्ष ने हंगामा शुरू किया। तेजस्वी ने कहा कि सरकार मतदाता सूची में धांधली कर रही है, हम इस पर चर्चा करना चाहते हैं।
विधान परिषद में भी हंगामा, कार्यवाही स्थगित
इसी बीच, विधान परिषद में भी विपक्षी सदस्यों ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सभापति से कार्य स्थगन प्रस्ताव मांगा, लेकिन सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इसे "असंवैधानिक" बताते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद परिषद की कार्यवाही भी बुधवार दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
बिहार विधानसभा का यह मानसून सत्र राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बनता जा रहा है। विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह मतदाता सूची के मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगा, जबकि सरकार इसे लेकर चर्चा से बचना चाहती है। ऐसे में, आने वाले दिनों में सदन में और हंगामे की आशंका है।