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बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव का बड़ा हमला: 2005 से नीतीश सरकार, फिर भी वोटर लिस्ट में घुसपैठिए, यह नाकामी

बिहार विधानसभा मॉनसून सेशन में तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सवाल उठाए, कहा- "अगर घुसपैठियों के नाम हैं तो यह सरकार की नाकामी"। SIR मुद्दे पर विपक्ष का प्रदर्शन जारी।

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YBN Bihar Desk
Tejaswi yadav
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बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन आज राजद नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वोटर लिस्ट में घुसपैठियों के नाम शामिल हैं तो यह नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी सरकार की बड़ी नाकामी है। साथ ही, उन्होंने विधानसभा में शालीनता बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि अगर पिछले पांच साल में किसी को ठेस पहुंची हो तो वह माफी मांगने को तैयार हैं, लेकिन यह दोनों तरफ से होना चाहिए।

"2003 के बाद के सभी चुनाव फर्जी?" – तेजस्वी का तीखा सवाल

तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में कहा कि 2005 से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं और पिछले 11 साल से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री। अगर इसके बाद भी वोटर लिस्ट में घुसपैठियों के नाम हैं, तो यह सरकार पर बड़ा सवाल है। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग अब मतदाताओं को फर्जी बता रहा है, तो क्या 2003 के बाद के सभी चुनाव फर्जी थे? जो लोग जीते, वे भी फर्जी हैं?

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की कि वह यह आश्वासन दें कि किसी भी बिहारी का नाम वोटर लिस्ट से नहीं काटा जाएगा।

SIR मुद्दे पर विपक्ष का प्रदर्शन जारी

विधानसभा में आज भी SIR (Special Identification Review) मुद्दे पर विपक्षी दलों का प्रदर्शन जारी रहा। विपक्ष ने सदन में कार्यस्थगन प्रस्ताव लाकर मांग की कि सभी कार्यवाही रोककर एक घंटे तक इस मुद्दे पर चर्चा की जाए। विपक्षी विधायकों ने धमकी दी कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे सदन की कार्यवाही नहीं चलने देंगे।

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विधानसभा के मुख्य द्वार पर भी विपक्षी नेताओं ने धरना प्रदर्शन किया और कहा कि वे सीएम नीतीश कुमार को अंदर नहीं जाने देंगे। इस मुद्दे पर न सिर्फ विपक्ष बल्कि सत्तापक्ष के कुछ सांसदों ने भी चिंता जताई है।

"आधार कार्ड को चुनाव आयोग क्यों नहीं मानता?"

तेजस्वी यादव ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस आधार कार्ड के आधार पर देशभर में दस्तावेज बनते हैं, उसे चुनाव आयोग क्यों नहीं मानता? बिहार से बाहर रहने वाले करोड़ों मतदाताओं का नाम न काटा जाए, इसके लिए सभी दलों को एकजुट होना चाहिए।

उन्होंने जदयू सांसदों और एनडीए सहयोगी दल टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू की चिंताओं का भी जिक्र किया, जो इस मुद्दे पर सरकार से सवाल कर चुके हैं।

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