/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/19/bihar-vidhansabha-monsoon-session-2025-06-19-12-04-16.jpg)
बिहार की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। 21 जुलाई से शुरू हो रहे बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र सिर्फ एक विधायी प्रक्रिया नहीं, बल्कि चुनाव पूर्व राजनीतिक संघर्ष का अखाड़ा बनने वाला है। 25 जुलाई तक चलने वाला यह सत्र 17वीं विधानसभा का संभावित आखिरी सत्र हो सकता है, क्योंकि सितंबर-अक्टूबर 2025 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने की पूरी संभावना है।
सरकार की रणनीति: लोक-लुभावन विधेयक और बजट का सहारा
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस सत्र में कई ऐसी घोषणाएं कर सकती है जो सीधे वोटर वर्ग को टारगेट करें। इनमें शामिल हो सकते हैं:
अनुपूरक बजट पेश करना, जिसमें 41 विभागों के लिए अतिरिक्त राशि आवंटित हो सकती है।
महिलाओं, युवाओं और शिक्षकों के लिए विशेष योजनाएं, जिससे सामाजिक वर्गों को साधा जा सके।
रोजगार और स्किल डेवलपमेंट पर घोषणाएं, जिससे बेरोजगार युवाओं को राहत दी जा सके।
- विशेष रूप से 6 लाख से ज्यादा शिक्षकों के लिए नीतिगत ऐलान की संभावना सबसे ज्यादा है, जिससे शैक्षणिक वर्ग को लुभाया जा सके।
विपक्ष पहले से तैयारी में है और नीतीश सरकार को कई मोर्चों पर घेरने की योजना पर काम कर रहा है:
बेरोजगारी
शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली
कानून व्यवस्था में गिरावट
आर्थिक असमानता और भ्रष्टाचार
महागठबंधन के युवा नेता तेजस्वी यादव पहले ही संकेत दे चुके हैं कि यह सत्र सिर्फ बहस नहीं बल्कि “जनता की अदालत का पूर्वाभ्यास” होगा।