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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब पूरी तरह सियासी गर्मी में बदल चुका है। प्रदेश के हर जिले में प्रचार का शोर सुनाई दे रहा है, वहीं टिकट बंटवारे को लेकर नाराज़गी और असंतोष भी बढ़ने लगा है। इसी कड़ी में एक नाम तेजी से चर्चा में है - माउंटेन मैन दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी का, जिन्होंने कांग्रेस से टिकट न मिलने पर नाराज़गी जाहिर की है।
भगीरथ मांझी ने बताया कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें टिकट मिलने का पूरा भरोसा था, क्योंकि राहुल गांधी ने खुद उन्हें आश्वासन दिया था। उनका कहना है कि वे चार दिन तक दिल्ली में रहे, जरूरी दस्तावेज जमा किए और टिकट की उम्मीद में पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिलने की कोशिश भी की, लेकिन अंत में नामांकन की सूची में उनका नाम नहीं था। उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी से मिला था, उन्होंने कहा था कि तुम्हें टिकट मिलेगा। लेकिन जब टिकट बंटे, तो मुझे नजरअंदाज कर दिया गया।
भगीरथ मांझी का कांग्रेस से जुड़ाव जनवरी 2025 में हुआ था, जब वे जेडीयू छोड़कर पार्टी में शामिल हुए थे। पटना में हुई मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने उन्हें अपने पास बिठाया था, पानी पिलाया था और विधायक बनने का भरोसा भी दिया था। अब टिकट न मिलने के बाद भगीरथ खुलकर कह रहे हैं कि उन्हें वादाखिलाफी का शिकार होना पड़ा है।
दशरथ मांझी का नाम बिहार के इतिहास में ‘माउंटेन मैन’ के रूप में अमर है। गया जिले के गेहलौर गांव के रहने वाले मांझी ने 22 साल की मेहनत से पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था, जिससे गांव के लोगों की जिंदगी आसान हो गई। उनके संघर्ष और जज़्बे को पूरे देश ने सलाम किया था। ऐसे में उनके बेटे भगीरथ मांझी का कांग्रेस से टिकट न मिलना लोगों की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा बन गया है।
भगीरथ का कहना है कि राहुल गांधी ने न सिर्फ उनसे वादा किया था बल्कि राजगीर यात्रा के दौरान उन्हें साथ भी रखा था। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी उनके घर आए थे, तब उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर घर बनाने में मदद की और उन्हें सम्मान दिया था। अब वही राहुल गांधी उनके भरोसे पर खरे नहीं उतरे।
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