बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर राजनीतिक विवाद (Political Controversy) तेज हो गया है। महागठबंधन (Mahagathbandhan) के नेताओं ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि लोकतंत्र की जननी बिहार से ही लोकतंत्र (Democracy Under Threat) को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (Congress) के नेताओं ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) पर प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
"चुनाव आयोग असमंजस में, प्रक्रिया संदिग्ध"
महागठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग लगातार अपने ही निर्णय बदल रहा है। डॉ. शकील अहमद खान ने कहा कि हम अपना पक्ष रखने के लिए समय मांग रहे हैं, लेकिन आयोग मिलने का समय तक नहीं दे रहा। यह पूरी प्रक्रिया संदेहास्पद है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम (Rajesh Ram) ने भाजपा (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारी एजेंसियां भाजपा के इशारे पर काम कर रही हैं। सरनेम देखकर विशेष समुदायों के मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं।
पलायन मजदूरों और गरीबों पर संकट
महागठबंधन ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि बिहार से तीन करोड़ से अधिक पंजीकृत पलायन (Migrant Workers) हुआ है। नेताओं ने सवाल उठाया:
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क्या पढ़ाई, रोजगार या इलाज के लिए बाहर गए लोगों के मताधिकार (Voting Rights) खत्म हो जाएंगे?
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गरीबों के पास मांगे गए 11 दस्तावेज (Documents for Voter ID) कहां से आएंगे?
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जाति आधारित जनगणना (Caste Census) में चिह्नित 94 लाख गरीब परिवारों का क्या होगा?
"सर्वदलीय बैठक की मांग अनसुनी"
महागठबंधन पहले ही इस मामले में सर्वदलीय बैठक (All-Party Meeting) की मांग कर चुका है, लेकिन उनका आरोप है कि उनकी बातों को नजरअंदाज किया जा रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता ने कहा, कि बिहार सतर्क है। हम मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर लड़ेंगे।