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बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2023) से पहले मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (Intensive Revision of Voter List) को लेकर विवाद गहरा गया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के बाद अब पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) में भी चुनाव आयोग (Election Commission of India) के इस कदम को चुनौती दी गई है। एक जनहित याचिका (PIL) में वोटर लिस्ट रिवीजन पर रोक लगाने की मांग की गई है, साथ ही नागरिकता (Citizenship) की शर्तों को असंवैधानिक बताया गया है।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जा रहा है, जिसमें बूथ लेवल अधिकारी (Booth Level Officer - BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में मतदाताओं से एक गणना फॉर्म (Enumeration Form) भरवाया जा रहा है, जिसमें उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज पेश करने होते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया पर सवाल उठते हुए पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
सत्यनारायण मदन और अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने मतदाता बने रहने के लिए जो शर्तें रखी हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 5, 6, 19, 325 और 326 का उल्लंघन करती हैं। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि आयोग को नागरिकता की जांच का अधिकार नहीं है और एक बार मतदाता सूची में शामिल हो चुके व्यक्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया के हटाया नहीं जा सकता।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग से पूछा था कि वह मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान नागरिकता के मुद्दे में क्यों उलझ रहा है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि नागरिकता का मामला गृह मंत्रालय (Home Ministry) के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि चुनाव आयोग के। अदालत ने आयोग को 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय की।
विपक्ष का आरोप - चुनाव से पहले जानबूझकर उठाया गया कदम
बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2023) से ठीक पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू किया गया है, जिस पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर चुनावी लाभ के लिए की जा रही है। साथ ही, मतदाताओं से मांगे जा रहे दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड (Aadhaar Card), राशन कार्ड (Ration Card) और मनरेगा जॉब कार्ड (MNREGA Job Card) जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे गरीब और वंचित वर्ग के मतदाताओं को परेशानी हो सकती है।