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बिहार वोटर लिस्ट विवाद: "नागरिकता जांच क्यों?" सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। जानें क्यों उठ रहे हैं नागरिकता जांच के सवाल और क्या है विवाद।

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YBN Bihar Desk
complained about irregularities voter list did not register any objection

यूपी में मतदाता सूची पर नहीं दर्ज हुई कोई आपत्ति

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने चुनाव आयोग से सीधा सवाल किया कि वह नागरिकता के मुद्दे में क्यों उलझ रहा है, जबकि यह गृह मंत्रालय (MHA) का विषय है।

क्या है पूरा विवाद?

राजद सांसद मनोज झा, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत 11 लोगों ने SIR प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिकाएं दाखिल की हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि वोटर लिस्ट संशोधन में नियमों की अनदेखी की जा रही है। मतदाताओं की नागरिकता जांच की जा रही है, जो कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ है। 

अब इस मामले में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि "आप (चुनाव आयोग) नागरिकता के मुद्दे में क्यों पड़ रहे हैं? यह तो गृह मंत्रालय का काम है। आपका काम तो मतदाता सूची तैयार करना है।"

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि SIR प्रक्रिया में मतदाताओं से अव्यावहारिक दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लाखों मतदाताओं के पास जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज नहीं हैं। इससे बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम काटे जा सकते हैं। 

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वहीं, चुनाव आयोग की तरफ से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह ने बचाव में कहा कि SIR प्रक्रिया पूरी तरह कानून सम्मत है। मतदाता सूचियों को अद्यतन करना आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है। नागरिकता जांच का कोई इरादा नहीं है। 

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