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बिहार की वोटर लिस्ट राजनीति: तेजस्वी की अपील के तीसरे दिन चला RJD का मीटर, CPI-ML ने मारी बाजी

बिहार चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट पर राजनीति गरमा गई है। तेजस्वी यादव की अपील के तीसरे दिन आरजेडी ने 3 दावा और आपत्तियां दाखिल कीं, जबकि CPI-ML ने 79 केस दर्ज कर बढ़त बनाई। एनडीए अभी भी खामोश।

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YBN Bihar Desk
Tejashwi Yadav Voter Card
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट को लेकर सियासत तेज हो गई है। विपक्ष के महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के अघोषित दावेदार तेजस्वी यादव ने 25 अगस्त को वीडियो संदेश जारी कर आरजेडी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि वे मतदाता सूची में कटे हुए नाम जुड़वाने और नए वोटरों को जोड़ने का काम तुरंत शुरू करें। लेकिन तीन दिनों तक आरजेडी खामोश रही। अब जाकर पार्टी ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर तीन दावा और आपत्तियां दाखिल कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। इसे ही राजनीतिक गलियारों में “आरजेडी का मीटर चालू होना” कहा जा रहा है।

CPI-ML ने दायर की 79 आपत्तियां

इसके उलट महागठबंधन की सहयोगी पार्टी सीपीआई-एमएल इस मामले में कहीं आगे निकल गई है। पार्टी ने अब तक कुल 79 दावे और आपत्तियां दाखिल की हैं, जिनमें से 26 सिर्फ बुधवार को दर्ज कराए गए। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह राजनीतिक दलों को फटकार लगाई थी और सवाल किया था कि आखिर बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) मतदाता सूची में गड़बड़ी दूर करने में सक्रिय क्यों नहीं हैं। इसके बाद से ही सभी पार्टियों पर दबाव बढ़ा है कि वे अपने बीएलए को मैदान में उतारें।

चुनाव आयोग ने काटे हैं 65 लाख से अधिक वोटर्स के नाम

चुनाव आयोग के अनुसार 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में लगभग 65 लाख नाम काट दिए गए थे। इनमें से अधिकतर नाम निधन, घर पर अनुपस्थिति, बाहर चले जाने या डुप्लीकेट प्रविष्टियों की वजह से हटाए गए। अब अगर किसी को इस कटौती पर आपत्ति है या नया नाम जुड़वाना है, तो वे 1 सितंबर तक दावा दाखिल कर सकते हैं। यह काम व्यक्तिगत स्तर पर भी किया जा सकता है और राजनीतिक दलों के बीएलए के जरिए भी। आयोग ने जानकारी दी कि गुरुवार सुबह 10 बजे तक उसे कुल 82 दावे और आपत्तियां मिली हैं, जिनमें 79 सीपीआई-एमएल और 3 आरजेडी से हैं।

दिलचस्प यह है कि अब तक एनडीए के घटक दल— भाजपा, जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) ने कोई दावा या आपत्ति नहीं दाखिल की है। इसी तरह कांग्रेस और माकपा (सीपीएम) भी निष्क्रिय रही हैं। यानी सक्रियता दिखाने में महागठबंधन के दो छोटे दल ही फिलहाल सबसे आगे हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार में 12 बड़े राजनीतिक दलों ने कुल 1 लाख 60 हजार 813 बीएलए नियुक्त किए हैं, लेकिन इनकी भूमिका अभी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं दिख रही।

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