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बिहार की राजनीति में इन दिनों मतदाता सूची का मुद्दा केंद्र में है। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में करीब 65 लाख नाम कट जाने के बाद विपक्षी दलों पर सवाल उठने लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों सुनवाई के दौरान जब राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स की निष्क्रियता पर आश्चर्य जताया, तब जाकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से मतदाताओं के नाम जुड़वाने की अपील की।
तेजस्वी यादव ने वीडियो संदेश जारी किया
तेजस्वी यादव ने सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि कार्यकर्ता सुनिश्चित करें कि किसी भी गरीब या नए मतदाता का नाम सूची से छूटने न पाए। उन्होंने कहा कि “चुनाव आयोग लगातार गड़बड़ी करने पर आमादा है, ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी है कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करें।” तेजस्वी की यह अपील ऐसे समय आई है जब वह राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के साथ महागठबंधन के नेताओं के साथ बिहार भ्रमण पर निकले हुए हैं। इस यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सीपीआई-एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से पूछा था कि आखिर 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) अब तक क्या कर रहे थे। अदालत ने स्पष्ट कहा था कि एजेंट्स को मतदाताओं की मदद करनी चाहिए थी। इस फटकार के बाद विपक्ष पर दबाव और बढ़ा है। चुनाव आयोग ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राजनीतिक दलों को नोटिस भेजने का निर्णय लिया है, ताकि आपत्तियों और दावों को गंभीरता से लिया जा सके।
चुनाव आयोग के मुताबिक सोमवार सुबह 10 बजे तक राजनीतिक दलों की ओर से केवल 10 दावे और आपत्तियां दाखिल की गईं, जिनमें से सभी वामपंथी दल सीपीआई-एमएल द्वारा की गईं। भाजपा, राजद, जेडीयू और कांग्रेस जैसे बड़े दलों ने अब तक कोई आपत्ति नहीं जताई है, जबकि इन दलों ने लाखों बूथ एजेंट्स नियुक्त किए हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि अभी तक 1.40 लाख से अधिक वोटरों से सीधे आपत्तियां मिली हैं, वहीं करीब 3.80 लाख नए मतदाता नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर चुके हैं।