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पटना, वाईबीएन डेस्क। बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची को लेकर अब तक की सबसे व्यापक और तकनीकी दृष्टि से अद्यतित प्रक्रिया चल रही है। चुनाव आयोग द्वारा संचालित विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision - SIR) का पहला चरण 26 जुलाई को समाप्त हुआ। इस प्रक्रिया में अब तक कुल 7.23 करोड़ मतदाताओं ने अपने फार्म जमा किए। लगभग 65.2 लाख नामों को हटाने की प्रक्रिया चल रही है। इस बार चुनाव आयोग ने सिर्फ कागजी कार्रवाई पर भरोसा नहीं किया, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए मतदाता सूची के हर फॉर्म को वेरिफाई और अपलोड किया गया है। आंकड़े बताते हैं कि इस मुहिम में 99.8% मतदाता सक्रिय रूप से शामिल हुए।
नाम हटाने की वजहें
65 लाख से अधिक नामों को सूची से हटाने की तैयारी को लेकर विपक्षी दलों ने जहां इसे चुनावी साजिश करार दिया, वहीं चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये नाम या तो दिवंगत मतदाताओं के हैं, डुप्लीकेट एंट्री हैं, या फिर वे मतदाता हैं जो नए क्षेत्र में स्थानांतरित हो गए हैं। BLO (Booth Level Officer) द्वारा की गई सत्यापन प्रक्रिया और स्थानीय रिपोर्टिंग के आधार पर यह कार्रवाई की जा रही है।
1 अगस्त से कर सकेंगे दावा-आपत्ति
आयोग के अनुसार, 1 अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची जारी की जाएगी। इसके बाद एक माह यानी 1 से 30 अगस्त के बीच मतदाता दावा-आपत्ति दाखिल कर सकेंगे। यह प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम और BLO के जरिए की जा सकती है।
डिजिटल ट्रैकिंग और डेटा इंटीग्रेशन
मतदाता फार्म की डिजिटल अपलोडिंग के साथ-साथ अब चुनाव आयोग ने 'कंट्रोल टेबल डेटा' को अपडेट करने का निर्देश भी दे दिया है, जिससे हर बूथ की वोटर सूची एकदम सटीक और अद्यतन हो सके। यह कदम बिहार जैसे जनसंख्या घनत्व वाले राज्य में डुप्लीकेसी और बोगस वोटिंग रोकने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है।