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बिहार की राजनीति में नकली दवाओं का मुद्दा अब क़ानूनी मोड़ ले चुका है। BJP की लीगल सेल ने पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव, राजद सुप्रीमो लालू यादव की बेटी और चर्चित ट्विटर फिगर रोहिणी आचार्य, साथ ही बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम सहित कई नेताओं को कानूनी नोटिस भेज दिया है। आरोप है कि इन नेताओं ने राज्य के नगर विकास मंत्री और भाजपा नेता जीवेश मिश्रा पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए हैं, जिन्हें हाल ही में नकली दवा केस में दोषी ठहराया गया था।
BJP की लीगल सेल का कहना है कि विपक्षी नेताओं ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर जीवेश मिश्रा की छवि धूमिल करने की कोशिश की है, जबकि अदालत ने उन्हें जुर्माने के साथ सशर्त राहत दी है। पार्टी की कानूनी शाखा के समन्वयक आर. दीक्षित ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अगर इन नेताओं ने 15 दिनों के भीतर सार्वजनिक माफी नहीं मांगी, तो उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
इस विवाद की जड़ सितंबर 2010 में राजस्थान के राजसमंद जिले से जुड़ी है, जहां कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स के गोदाम से नकली सिप्रोलिन-500 दवाएं जब्त की गई थीं। जांच के दौरान पता चला कि इन दवाओं की आपूर्ति ऑल्टो हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने की थी, जिसके निदेशक के रूप में जीवेश मिश्रा का नाम सामने आया। 15 साल पुराने इस केस में 4 जून 2025 को अदालत ने उन्हें और आठ अन्य को दोषी ठहराया, लेकिन अदालत ने उन्हें जेल की सज़ा से राहत देते हुए केवल जुर्माने के साथ छोड़ा।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग की और उन्हें "नकली दवा माफिया" तक कह दिया। वहीं, रोहिणी आचार्य ने अपने ट्वीट में नीतीश सरकार को "लाचार और समझौता परस्त" बताते हुए हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि एक दोषी मंत्री कैसे अब भी पद पर बने हुए हैं? कांग्रेस की ओर से भी इस मसले पर तीखी प्रतिक्रिया आई, जहां पार्टी प्रवक्ता ने नकली दवाओं के नेटवर्क की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
हालांकि भाजपा अब इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक दुष्प्रचार करार दे रही है और कानूनी हथियारों से जवाब देने की तैयारी में है। पार्टी का दावा है कि जीवेश मिश्रा का किसी भी दवा कंपनी से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, और विपक्ष जानबूझकर गलत तथ्यों को फैलाकर जनता को गुमराह कर रहा है।