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बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की चौथे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-4) को लेकर राजधानी पटना में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए और 1.20 लाख पदों पर भर्ती की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। हंगामे के दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की हुई और हालात बिगड़ते देख लाठीचार्ज करना पड़ा। कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। बढ़ती नाराज़गी के बीच शिक्षा मंत्री सुनील कुमार का बयान सामने आया है। उन्होंने साफ किया कि सरकार फिलहाल मौजूदा रिक्तियों के आधार पर ही प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है और TRE-4 के बाद ही TRE-5 की परीक्षा होगी।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार ने पहले 1.20 लाख पदों पर बहाली का वादा किया था, लेकिन अब सीटों की संख्या घटाकर 60 हजार कर दी गई है। शेष पदों को TRE-5 के लिए रख दिया गया है। उनका कहना है कि इस फैसले से लाखों उम्मीदवारों का भविष्य अधर में लटक गया है। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक पद खाली होने के बावजूद सरकार आधी सीटें रोककर भर्ती कर रही है, जो शिक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ है।
शिक्षा मंत्री ने हालांकि अभ्यर्थियों को आश्वस्त करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अब तक बीपीएससी के जरिए ढाई लाख से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है, जिसमें 33 हजार प्रधान शिक्षक शामिल हैं। यह देशभर में सबसे बड़ी नियुक्ति है। मंत्री ने बताया कि TRE-4 के जरिए 26 हजार से अधिक पदों पर नियुक्तियां होंगी और विशेष शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भी भेजा गया है। इसके बाद TRE-5 का आयोजन होगा।
बीपीएससी पहले ही घोषणा कर चुका है कि TRE-4 परीक्षा 16 से 19 दिसंबर 2025 तक होगी और परिणाम जनवरी 2026 के तीसरे सप्ताह तक प्रकाशित किए जाएंगे। सरकार का कहना है कि जैसे-जैसे रिक्तियां स्पष्ट होंगी, वैकेंसी की संख्या साझा की जाएगी। लेकिन अभ्यर्थियों को सरकार की इस प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है। उनका मानना है कि वैकेंसी की संख्या को लेकर सरकार पारदर्शिता नहीं बरत रही और लगातार संख्या घटाई जा रही है।