Advertisment

बिहार में बसपा का सियासी संकट गहरा, अकेले विधायक पर नए सिरे से दबाव के आरोप से गरमाया माहौल

बिहार में बसपा को अपने एकमात्र विधायक के टूटने का खतरा फिर से सताने लगा है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि उनके विधायक को प्रलोभन देकर तोड़ने की कोशिश हो रही है।

author-image
YBN Bihar Desk
Bihar BSP MLA

बिहार की राजनीति में एक बार फिर वही सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या बहुजन समाज पार्टी अपने अकेले विधायक को बचा पाएगी। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से बसपा को जो एकमात्र जीत मिली, वह अब गंभीर चुनौती का सामना कर रही है। बसपा के सतीश कुमार सिंह यादव ने भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह को बेहद मामूली अंतर यानी 30 वोटों से हराकर यह सीट निकाली थी। अब पार्टी का कहना है कि उनके इस नए विधायक को साधने की कोशिशें लगातार बढ़ रही हैं और उन्हें कई तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं।

यह आरोप ऐसे समय में आए हैं जब बसपा के पिछले एकमात्र विधायक मोहम्मद जमा खान का उदाहरण अभी भी ताजा है। 2020 में चैनपुर सीट से जीतने के बाद जमा खान कुछ ही समय में जेडीयू में शामिल हो गए थे और नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह देकर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया था। इस साल जेडीयू ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया और वे दोबारा चुनाव जीतकर अभी भी नीतीश मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं। वह एनडीए सरकार में अकेले मुस्लिम मंत्री भी हैं, जिससे उनका राजनीतिक कद और प्रभाव दोनों बढ़ा है।

बसपा ने इस पृष्ठभूमि में पटना में राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद मौजूद रहे। बैठक के दौरान बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने कहा कि उनके विधायक को तोड़ने के लिए कई प्रकार के लालच और वादे दिए जा रहे हैं, लेकिन पार्टी को विश्वास है कि उनका प्रतिनिधि अपनी निष्ठा नहीं बदलेगा। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक राजनीति में बढ़ते दवाब और खरीद-फरोख्त की संस्कृति का खतरनाक संकेत बताया। बैठक में विभिन्न जिलों के पदाधिकारियों ने भी अपनी राय रखी और आने वाले समय में संगठन को और मजबूत करने पर जोर दिया।

बिहार की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि छोटे दलों के विधायकों को सत्ता पक्ष द्वारा साधने की कोशिशें लगातार चर्चा में रहती हैं। 2025 के चुनाव में बसपा का अकेले चुनाव लड़ना और सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल करना पार्टी के लिए चुनौती भी है और अवसर भी। लेकिन यदि यह एकमात्र विधायक भी टूटने की आशंका में फंसता है, तो बसपा का बिहार में संगठनात्मक आधार और कमजोर हो सकता है। दूसरी ओर, बसपा यह दिखाने की कोशिश भी कर रही है कि वह पिछली गलतियों से सीखकर अपने जनाधार और नेतृत्व को मजबूती देने में जुटी है।

Advertisment

Bihar news | Bihar news 2025 | Bihar News Hindi | bihar newslive | bihar news live hindi | bihar news live today

Bihar news Bihar News Hindi bihar news live hindi bihar news live today Bihar news 2025 bihar newslive
Advertisment
Advertisment