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मोतिहारी, आईएएनएस। बिहार के पूर्वी चंपारण के टिकुलिया गांव में भाईचारे को खराब की एक बड़ी साजिश को पुलिस ने नाकाम कर दिया। गांव की साझी विरासत और सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाने की कोशिश कुछ लोगों ने महज "सोशल मीडिया की शोहरत" के लिए की थी, लेकिन मोतिहारी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर ऐसी मानसिकता पर चोट की है जो समाज को जाति के नाम पर बांटना चाहती थी।
आदापुर थाना क्षेत्र के टिकुलिया गांव में “ब्राह्मणों का प्रवेश वर्जित है” लिखे बोर्ड ने सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय समाज तक सनसनी फैला दी। जांच में पता चला कि यह बोर्ड मंदीप कुमार नामक युवक (यूट्यूबर) द्वारा लगाया गया, जिसका मकसद यूट्यूब पर फेमस होना और विवाद खड़ा करना था। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आदापुर थाना में कांड संख्या 246/25 दर्ज किया है।
टिकुलिया निवासी कृष्णा राय के पुत्र मंदीप कुमार ने यह कृत्य अपने दो साथियों के सहयोग से किया, जिसमें बखरी निवासी संजीत कुशवाहा और भेलवा निवासी मनीष कुमार शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि तीनों ने मिलकर गांव के बाहर ऐसा बोर्ड लगवाया जिससे सामाजिक ताना-बाना बिगड़ सके। लेकिन गांव के बुद्धिजीवियों ने तुरंत इसकी जानकारी दी और मोतिहारी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बोर्ड हटवा दिया।
पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया कि मंदीप कुमार पहले भी कई मामलों में संलिप्त रहा है, जिनमें शराबबंदी कानून के उल्लंघन, चोरी, अश्लीलता और मारपीट के कुल 11 मामले शामिल हैं। ऐसे लोगों की हरकतें समाज को बांटने की कोशिश होती हैं, जिसे प्रशासन कभी सफल नहीं होने देगा। पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट कहा, “जो लोग अफवाह फैलाकर समाज में जहर घोलना चाहते हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। सोशल मीडिया कोई मनमानी करने का मंच नहीं है और न ही नफरत फैलाने का जरिया है। इस मामले में जो भी शामिल होंगे कार्रवाई होगी।"
कहा जा रहा है कि यह घटना सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का उदाहरण है। समाज को जोड़ने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है क्योंकि नफरत से न किसी को शोहरत मिलती है, न सम्मान।